100 साल की मां चल नहीं सकती थीं, बैंक ने रुपए देने से मना किया, मजबूरी में चारपाई घसीटकर ले आई 60 साल की बेटी

  • बैंककर्मियों ने एक न सुनी, कहा- वृद्धा को आना ही पड़ेगा

महासमुंद. यह तस्वीर है खरियार ब्लाक के बर गांव की। चारपाई पर लेटीं 100 साल की भले बाग को उनकी बेटी पूंजीमती सिक्का (60) खींचकर बैंक ले जा रहीं। वजह – क्याेंकि बैंककर्मियों ने वृद्धा के खुद नहीं आने तक रुपए देने से इनकार कर दिया था।

भले बाग (100 साल उम्र)

यह जन-धन खाते के वह रुपए थे, जिसे केंद्र ने गरीबों की जरूरत के लिए डलवाए थे। पूंजीमती ने बताया कि मां के खाते में 500 की तीन किस्त जमा हाे गई थी। लेकिन उसे मां को बुलाने के लिए कह दिया। जबकि वयोवृद्ध भले चल नहीं सकतीं। बैंककर्मियों ने जनप्रतिनिधियों तक की नहीं सुनी। ऐसे में बेबस बेटी घर से करीब 500 मीटर चारपाई खींचकर ले आई। तब मां का अंगूठा लगवा कर रुपए दिए गए।

अब बैंक अफसर दे रहे सफाई

उत्कल ग्राम्य बैंक के मैनेजर अजित प्रधान कहते हैं कि बिना वेरिफिकेशन खाते से पैसे नहीं निकल सकते इसलिए हितग्राही को बुलाया गया था। बहुत अधिक भीड़ होने से फिजिकल वेरिफिकेशन के लिए जाना संभव नहीं था। पूंजीमती को बताया था कि अगले दिन ही कोई उनके घर जा पाएगा।


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