नई दिल्ली, 03 मई 2020. जम्मू-कश्मीर में हंदवाड़ा के राजवार इलाके में सेना और आतंकियों के बीच हुई मुठभेड़ में कमांडिंग ऑफिसर कर्नल आशुतोष शर्मा चार अन्य सुरक्षाकर्मियों के साथ शहीद हो गए. शुक्रवार को शुरू हुए इस ऑपरेशन की कमान कर्नल आशुतोष शर्मा ही संभाल रहे थे.
21-राष्ट्रीय राइफल्स के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल आशुतोष शर्मा हंदवाड़ा इलाके की जिम्मेदारी संभालते थे. लेकिन शनिवार शाम सुरक्षाकर्मियों और आतंकियों के बीच मुठभेड़ में कर्नल शहीद हो गए.
दरअसल यह इलाका घने जंगलों वाला है इसलिए आए दिन यहां पर घुसपैठ की घटनाएं होती रहती हैं. शुक्रवार को सेना को जानकारी मिली थी कि यहां एक घर में कुछ आतंकी छिपे हैं, जिसके बाद सेना ने सर्च ऑपरेशन शुरू किया था. जिसके बाद राजवार इलाके में तलाशी अभियान शुरू किया गया, इस दौरान ही सुरक्षाकर्मियों और आतंकियों के बीच भीषण मुठभेड़ शुरू हो गई.
इस ऑपरेशन में कर्नल आशुतोष शर्मा भी थे, जिनसे शनिवार शाम को ही संपर्क टूट गया था. रविवार सुबह मुठभेड़ वाले इलाके में सर्च किया गया जहां सात शव मिले. इसमें पांच सेना के जवान और दो विदेशी आतंकियों के शव थे.
सेना द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक इस आतंकी मुठभेड़ में कर्नल आशुतोष शर्मा, 21 राष्ट्रीय राइफल्स के मेजर अनुज सूद, नायक राजेश, लांस नायक दिनेश के साथ जम्मू कश्मीर पुलिस के सब इंस्पेक्टर शकील काजी शहीद हो गए.
मुठभेड़ में किसी कमांडिंग ऑफिसर की शहादत लगभग पांच साल के बाद हुई है. इससे पहले 2015 के जनवरी महीने में कर्नल एमएन राय शहीद हुए थे. हालांकि पिछले साल सितंबर महीने में कमांडिंग ऑफिसर संतोष महादिक भी शहीद हो गए थे.
सेना के अधिकारियों ने बताया कि कर्नल आशुतोष शर्मा गार्ड रेजिमेंट से आते हैं, जो कश्मीर घाटी में लंबे समय से अपनी सेवा दे रही है. आशुतोष शर्मा इकलौते कर्नल थे, जिन्हें कश्मीर में दो बार वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. जिसमें एक कमांडिंग ऑफिसर के रूप में उनकी बहादुरी के लिए था.
शहीद आशुतोष शर्मा को कमांडिंग ऑफिसर के तौर पर कपड़ों में ग्रेनेड छिपाए हुए आतंकी से अपने जवानों की जिंदगी बचाने के लिए वीरता मेडल से सम्मानित किया जा चुका है. दरअसल, एक आतंकी उनके जवानों की ओर अपने कपड़ों में ग्रेनेड लेकर बढ़ रहा था, तब शर्मा ने बहादुरी का परिचय देते हुए आतंकी को गोली मारकर अपने जवानों की जान बचाई थी.