सूत्र- वित्त विभाग के वेतन कटौती किए जाने के प्रस्ताव को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने खारिज कर दिया था, लेकिन विभागीय दलीलों के बाद जल्द निर्णय लिए जाने के संकेत
रायपुर- कोरोना आपदा के चलते छत्तीसगढ़ सरकार वित्तीय संकट से गुजर रही है. रेवेन्यू कलेक्शन घटने से सरकारी खजाना खाली हो गया है. इस बीच प्रशासनिक गलिराये से आ रही खबरों पर यकीन करें, तो राज्य के कर्मचारियों के वेतन पर अब इसका सीधा असर पड़ सकता है. उच्च पदस्थ सूत्र बताते हैं कि सरकारी कर्मचारियों के वेतन में 30 फीसदी तक कटौती किए जाने का कठोर फैसला सरकार ले सकती है. हालांकि इस फैसले के बीच राज्य सरकार देश के अन्य राज्यों में लिए गए फैसलों की समीक्षा भी कर रही है.
चर्चा है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने वेतन कटौती किए जाने के वित्त विभाग के प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दिया था, लेकिन विभाग ने अपने अभिमत में यह स्पष्ट कर दिया है कि इसके अलावा कोई दूसरा समाधान फिलहाल सामने नहीं है. वित्तीय संकट के इस हालात में यह फैसला लिया जाना बेहद जरूरी है.
दरअसल कोरोना वायरस के संक्रमण का फैलाव रोकने के लागू किए गए लाॅकडाउन से औद्योगिक उत्पादन ठप्प है. राज्य सरकार के हिस्से आने वाले जीएसटी में भारी कमी आई है, पंजीयन प्रभावित होने से रेवेन्यू की लिक्विडिटी घटी है, बाजार बंद होने का बुरा असर राज्य के रेवेन्यू कलेक्शन में आया है. सरकार को मिलने वाले रेवेन्यू के सारे दरवाजे लगभग बंद के हालात में हैं, यही वजह है कि सरकार आर्थिक संकट से जूझ रही है.
वित्तीय मामलों के जानकार कहते हैं कि कोरोना की वजह से बाजार चौपट होने और सरकार को मिलने वाले रेवेन्यू में बड़ा लाॅस है. इसकी भरपाई करना किसी भी सरकार के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है. ऐसी स्थिति में सरकार, सरकारी कर्मचारियों के वेतन में कटौती कर सकती है. इधर तेलंगाना जैसे राज्य उदाहरण है, जिसके कोरोना की वजह से राज्य की आर्थिक स्थिति खराब होने की दलील देते हुए अपने राज्य में सरकारी कर्मचारियों के वेतन में कटौती की है.
जानकार कहते हैं कि आने वाले दिनों में केंद्र सरकार भी केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन में कटौती किए जाने का फैसला ले सकती है. हालांकि पिछले दिनों जब यह सवाल उठा था, तब केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सार्वजनिक बयान में कहा था कि यह कयास पूरी तरह से झूठे हैं, सरकार ऐसा कोई फैसला नहीं ले रही है.