भूपेश बघेल से पहले धमतरी में आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने भी ये स्पष्ट किया कि कर्जमाफी एक बार के लिए थी.
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद भूपेश बघेल ने सबसे पहले किसानों की कर्जमाफी पर फैसला करने की बात कही थी. इसे अमली जामा पहनाते हुए कांग्रेस सरकार ने 30 नवंबर 2018 तक के सभी सहकारी और ग्रामीण बैंकों से लिए गए किसानों के अल्पकालीन कर्ज माफ कर दिए. ये राशि 6100 करोड़ की थी.
इसी तरह सार्वजनिक क्षेत्र के 21 व्यावसायिक बैंकों से कर्ज लेने वाले 2.72 लाख किसानों के 2441.25 करोड़ रुपये कर्ज़ माफ़ करने का दावा किया गया था.
इसके बाद सरकार ने अक्टूबर 2018 लिए गए सिंचाई कर को माफ करने का फैसला लिया. इससे प्रदेश के 15 लाख किसानों को फायदा हुआ.
इसके बाद जून में सरकार ने डिफाल्टर किसानों के पुराने लोन भी माफ़ कर दिए. सरकार ने करीब 1175 करोड़ के लोन का वन टाइम सेटलमेंट करने की घोषणा की. सरकार ने सार्वजनिक बैंकों के नाॅन परफाॅर्मिंग खाते शेष रह गए थे उसके 1175 करोड़ के लोन को वन टाइम सेटलमेंट के जरिए निराकरण करने का फैसला किया. इसमें 50% राशि शासन द्वारा दी देने की बात कही गई जबकि 650 करोड़ के कृषि ऋण को माफ करने की बात कही गई.
पार्टी के नेता महेंद्र छाबड़ा का कहना है कि सरकार ने हमेशा किसानों के हित में बढ़चढ़ कर काम किया है. फिर किसानों का कर्ज फिर माफ करने की बात कहां से आ रही है. न तो कोई किसान इस बात को कह रहा है न ही विपक्षी दल का कोई बड़ा नेता. छाबड़ा का कहना है कि इस बात की जांच करानी होगी कि कौन हर साल कर्जमाफी की बात फैला रहा है.