रायगढ़/ जिला कांग्रेस कमेटी ग्रामीण के प्रवक्ता गोल्डी नायक के माध्यम से जिला अध्यक्ष अरुण मालाकार जी ने आज प्रदेश नेतृत्व के निर्देश पर भाजपा नेताओं के माओवादियों के संबंध में कहा है की एक और जहां भाजपा के नेता झीरम के षड्यंत्र की जांच से बचना चाहते हैं वही इतिहास में यह दर्ज है कि छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के माओवादियों के साथ गहरे संबंध रहे हैं छत्तीसगढ़ भाजपा के नेता माओवादियों के लगातार संपर्क में रहे हैं और उनके साथ मिलकर राजनीतिक लाभ भी उठाते रहे हैं हाल ही में दंतेवाड़ा में भाजपा के जिला उपाध्यक्ष जगत पुजारी को पुलिस ने गिरफ्तार किया है उन पर आरोप है कि उन्होंने नक्सलियों को ट्रैक्टर दिलवाया और अन्य आर्थिक मदद की वर्ष 2013 में दंतेवाड़ा में भाजपा के एक और उपाध्यक्ष शिवदयाल सिंह तोमर की नक्सलियों ने हत्या कर दी थी मीडिया की रिपोर्टों के अनुसार बाद में जब माओवादी नेता पोडियम लिंगा गिरफ्तार हुआ तो पता चला कि तोमर ने नक्सलियों को पैसा देने का वादा किया था लेकिन बाद में वह मुकर गया इसलिए उसकी हत्या माओवादियों ने की थी वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव से पहले नक्सल नेता पोडियम लिंगा को सीआरपीएफ ने गिरफ्तार किया था मीडिया के रिपोर्ट बताती हैं कि उसने पुलिस के सामने बयान दिया था कि वह भाजपा विधायक रहे भीमा मंडावी के गांव तोयलंका का रहने वाला है और रिश्ते में मंडावी का भतीजा है और उनकी मदद करता रहा है मीडिया रिपोर्टों के अनुसार उसने यह भी स्वीकार किया कि वह तोमर से लगातार मिलता रहा है और चुनाव में उनकी मदद की है। वर्ष 2011 के लोकसभा चुनाव में नक्सलियों ने दिनेश कश्यप की भी मदद की थी इस बात को भी उसने स्वीकार किया है। वर्ष 2019 में लोकसभा चुनाव से एक-दो दिन पहले नक्सली हमले में भीमा मंडावी की मृत्यु हो गई थी वर्ष 2014 में रायपुर विमानतल पर एक भाजपा सांसद के वाहन में सवार एक ठेकेदार धर्मेंद्र चोपड़ा को जब पुलिस ने गिरफ्तार किया था, तो उसने भी पुलिस को बयान दिया था कि वह सांसद और नक्सलियों के बीच तालमेल का काम करता है, मीडिया की रिपोर्ट और भाजपा शासनकाल के दौरान पुलिस के अनुसार में यह बातें पूरी तरह से साफ हो गई हैं कि माओवादियों के संबंध भाजपा नेताओं से रहे हैं अब ऐसे में झीरम षड्यंत्र की जांच इन्हीं कारणों से नहीं हो रही है कि भाजपा के नक्सलियों के संबंध का परिणाम है कि 2008 में जब नक्सलियों के खिलाफ कार्रवाई सबसे तेज थी और सलवा जुडूम चल रहा था तब भी बस्तर में 12 से 11 सीटें भाजपा ने जीती थी।यह गठजोड़ बस्तर टाइगर कहलाने वाले महेंद्र कर्मा की हार के लिए पूरी तरह से जिम्मेदार था लगातार मिल रहे सबूतों के आधार पर यह भी लगता है कि वर्ष 2013 के चुनाव से पहले कांग्रेस की परिवर्तन रैली पर जो कथित नक्सली हमला हुआ था वह सामान्य नक्सली हमला नहीं था अब तक जो तथ्य सामने आए हैं उससे साफ लगता है कि जानबूझकर कांग्रेस की रैली को पर्याप्त सुरक्षा उपलब्ध नहीं कराई गई और रोड ओपनिंग पार्टी तक नहीं लगाई गई।दस्तावेज बताते हैं कि एनआईए ने पहले नक्सलियों के दो बड़े नेता गणपति और रमन्ना को अभियुक्त बनाया था लेकिन पूरक चार्जशीट दाखिल करते समय उनको अभियुक्तों की सूची से हटा दिया गया वर्ष 2016 में कांग्रेस के दबाव पर तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह ने स्वीकार किया था कि झीरम नरसंहार की सीबीआई जांच कराई जाए लेकिन केंद्र सरकार ने इसे अस्वीकार कर दिया। डॉक्टर रमन सिंह दिसंबर 2016 से 2018 में जब तक भारतीय जनता पार्टी की सरकार छत्तीसगढ़ राज्य में थी तब चुनाव तक यह जानकारी छिपाई रखें कि केंद्र सरकार ने सीबीआई जांच से इनकार कर दिया है।
अब ऐसे में कांग्रेस के सवाल प्रदेश भाजपा से है कि क्यों भाजपा के नेताओं से ही नक्सलियों के संबंध उजागर होते हैं..? क्या बस्तर में भाजपा नक्सलियों के भरोसे ही राजनीति करती है..? भाजपा के प्रदेश नेतृत्व जिला स्तर के नेताओं और विधायक सांसदों को नक्सलियों से सांठगांठ की स्वीकृति देते रहे हैं..? नक्सलियों के शीर्ष नेताओं के नाम किसके कहने पर हटाए डॉ रमन सिंह या भाजपा के केंद्रीय नेताओं के..? केंद्र की भाजपा सरकार ने किसके कहने पर सीबीआई जांच से इनकार किया..? डॉ रमन सिंह की इसमें क्या भूमिका रही थी..?अगर रमन सिंह की कोई भूमिका नहीं थी 23 से संबंधित जानकारियां जनता के सामने सार्वजनिक क्यों नहीं की गई..? और अंत में सवाल यह भी कि झीरम के संयंत्र की जांच से भाजपा के नेता क्यों बचना चाहते हैं..?
ऐसे में झीरम में हुई घटनाओं की एसआईटी जांच की मांग कांग्रेस करती है ताकि प्रदेश के लोगों के साथ न्याय हो सके और वास्तविक दोषियों को जनता के सामने लाया जा सके। उक्ताशय की जानकारी महामंत्री विकास शर्मा ने प्रेस को दी।