निकल पड़ा है कारवां, ग्रामीण महिलाओं ने रची है कामयाबी की दास्तां, शासन की बिहान योजना से महिला स्व-सहायता समूह की महिलाओं को मिला हौसला

महिलाओं की सहभागिता से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मिल रही मजबूती  

रायगढ़, 10 फरवरी 2020/ रायगढ़ की ग्रामीण परिवेश की महिलाओं ने कहा कि दिल में कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो हम किसी की परवाह नहीं करते। कारवां बनाकर निकले और शासन की बिहान योजना से उन्हें हौसला मिला। ग्रामीण कर्मठ महिलाएं न केवल आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनी हैं, बल्कि ग्रामीण परिवेश में सामाजिक बदलाव ला रही है। महिलाओं की सहभागिता से ग्रामीण अर्थव्यवस्था में मजबूती आ रही है। वे आपसी मेलजोल एवं सहभागिता के साथ महिला स्व-सहायता समूह से जुड़ी और सेवा, समर्पण एवं इच्छाशक्ति से उन्होंने अपने अलग ही रास्ता बनाया है। यह उन अंतर्मुखी स्वभाव के महिलाओं की कहानी है, जिन्होंने अपने संकोच को दूर कर स्वावलंबन की राह पकड़ी।
किसी बात की परवाह किए बिना आगे बढ़ती हूं-दिव्यांग गायत्री गुप्ता
ग्राम बनोरा की गायत्री गुप्ता जय सर्वेश्वरी समूह की अध्यक्ष है, उन्होंने बताया कि वे दिव्यांग है और उनकी एक आंख में रोशनी नहीं है। ऐसे में उन्हें जिंदगी चलाने में कठिनाई हो रही थी। पहले तो रोजी-मजदूरी कर रही थी, लेकिन उससे कुछ खास सफलता नहीं मिली। समूह में जुड़कर कार्य करने से बहुत फायदा हुआ और आत्मविश्वास बढ़ा। अब मैं किसी बात की परवाह किए बिना आगे बढ़ रही हूं। गांव में धान एवं परवल की खेती से बहुत लाभ हुआ है। मुर्रा एवं मूंगफली का लड्डू बनाकर रायगढ़ स्थित बिहान बाजार में विक्रय कर रही हूं।
जी लेते है अब जिंदगी-श्रीमती राधा निषाद
ग्राम बनोरा की श्रीमती राधा निषाद जय जगन्नाथ स्व-सहायता समूह में फायनेसिंयल लिटे्रसी कम्युनिटी रिसोर्स पर्सन है। उन्होंने बताया कि वे ग्रामवासियों को वित्तीय प्रशिक्षण देकर बैंक लिंकेज से जोड़ रही हैं, वहीं समूह की महिलाओं को बैंक से ऋण भी दिलवाती हैं और उन्हें बचत करने एवं बीमा की जानकारी भी देती हैं, जिससे लगभग 5 हजार रुपए प्रतिमाह आमदनी हो जाती है। उन्होंने बताया कि मैं मायके में 8 वीं तक पढ़ी थी। शादी के बाद पढऩे में दिक्कत हो रही थी। ऐसे में बिहान योजना के तहत समूह में जुडऩे से पढऩे की यह इच्छा पूरी हुई। मन की झिझक दूर हुई एवं आत्मविश्वास बढ़ा और अब 12 वीं की परीक्षा दूंगी। उन्होंने कहा कि अब तो रोजगार मिलने से अपनी पहचान बनी है और हम अब अपनी जिंदगी जी लेते हैं।
घर की चारदीवारी से बाहर निकलकर बनायी है अपनी पहचान-श्रीमती कमला पटेल
ग्राम-तारापुर की श्रीमती कमला पटेल राधाकृष्ण स्व-सहायता समूह की अध्यक्ष है और काफी सक्रिय रहती हैं। घर की चारदीवारी से पहली बार बाहर निकलने की हिम्मत जुटाई और अपनी पहचान बनायी है। उन्होंने कहा कि बड़ी, पापड़, सरसों का तेल, मुर्रा फ्राय, मूंगफली, चावल आटा आदि का विक्रय कर प्रतिमाह 25 हजार तक आमदनी हो जाती है।
समाज में परिवर्तन लाने के लिए नजरिया बदलना पड़ता है-नसीबुन बी खान
ग्राम-लामीदरहा की श्रीमती नसीबुन बी खान रोशनी स्व-सहायता समूह की सचिव है। उन्होंने बताया है कि वे बिहान योजना के तहत पशु सखी दीदी है। वे मुख्यत: गांव में पशुओं के लिए वैक्सीन लगवाना सुनिश्चित करती है और पशुओं की देखभाल भी करती है। महिला होने की वजह से उन्हें शुरू में दिक्कत हुई लेकिन अब सब ठीक है और अब वे आर्थिक रूप से सक्षम है। उन्होंने कहा कि समाज में परिवर्तन लाने के लिए नजरिया बदलना पड़ता है।
लोगों के तानो को किया दरकिनार किया तब आगे बढ़े हैं-श्रीमती अनिता पटेल
ग्राम-औराभांठा की अनिता पटेल अन्नपूर्णा स्व-सहायता समूह की अध्यक्ष हंै। किसान परिवार में शादी हुई और जब जिम्मेदारियां बढ़ी तो समूह से जुड़कर आर्थिक रूप से परिवार के लिए सहायता करने लगी। अब तो खेती-किसानी के लिए खाद-बीज खरीदने में भी मदद हो जाती है। वे बैंक सखी दीदी भी है। बुजुर्गो एवं निशक्तजनों को कियोस्क के माध्यम से 5 गांव औराभांठा, तारापुर, ठाकुरपाली, कुरमापाली और धनागर गांव में पेंशन देने का सेवा कार्य कर रही है। समूह की सभी महिलाएं मूंग, उड़द, अरहर की खेती भी कर रही है और दाल प्रोसेसिंग एवं पैकेजिंग का कार्य कर विक्रय भी करते हैं। उन्होंने बताया कि उनके दस समूह को 15 हजार की चक्रीय निधि मिली है, वहीं 10 समूह को सामुदायिक निवेश कोष के तहत प्रति समूह 60 हजार एवं कुल 6 लाख रुपए की राशि मिली है। उन्होंने कहा कि लोगों के तानो को दरकिनार किया है तब आगे बढ़े हैं।
बच्चे की जिम्मेदारी के साथ कार्य करना रहा चुनौतीपूर्ण-श्रीमती दुर्गानंदिनी सिंह
ग्राम-कोसमपाली की श्रीमती दुर्गानंदिनी सिंह श्रद्धा महिला स्व-सहायता समूह की अध्यक्ष हैं। उन्होंने बताया कि बच्चों की जिम्मेदारी होते हुए कार्य करना चुनौतीपूर्ण रहा। शासकीय स्कूल में वे मध्यान्ह भोजन भी बना रही हंै, वहीं समूह की महिलाओं के साथ मिठाई का डिब्बा बनाने का आर्डर भी ले रही हंै। समूह की महिलाओं के साथ सिलाई कार्य आरंभ करने के लिए एक लाख रुपए का ऋण भी ले रही हैं।


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