रायपुर. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि अब वक्त आ गया है कि सोशल डिस्टेंसिंग (सामाजिक दूरी) की जगह फिजिकल डिस्टेंसिंग (शारीरिक दूरी) को अपनाया जाए। शुक्रवार को उन्होंने राज्य के पत्रकारों से वीडियो कांफ्रेंस के जरिए बात की। उन्होंने कहा कि उन्होंने कहा कि लॉकडाउन उठाने का निर्णय करते समय हमें जीवन और जीविका के बीच संतुलन रखना होगा। हमे अपने दिमाग में से सोशल डिस्टेन्सिग जैसे शब्दों की जगह फिजिकल डिस्टेन्सिंग को लाना होगा। उन्होंने इस बात पर इस वजह से जोद दिया ताकि लोग एक दूसरे से दूरी बनाएं और संक्रमण के खतरे को टालें। क्योंकि कई जगहों से पलायन कर मजदूर व अन्य लोग पहुंचे हैं। ऐसे में कहीं उनमें यह संक्रमण ना फैले।
सारे जमातियों की जानकारी सरकार के पास
मुख्यमंत्री ने कहा कि निजामुददीन मरकज से छत्तीसगढ़ लौटे तबलीगी जमात के लोगों में कोई भी मिसिंग नहीं है। वहां से 107 लोग वापस आए थे। उन सबकी पहचान कर ली गयी है। उन्हें क्वारैंटाइन में रखा गया है। सभी के सैम्पल ले लिए गए हैं। वे लोग जिनके सम्पर्क में आए थे उनकी ट्रेवल हिस्ट्री निकाली जा रही है। उन्होंने कहा कि आन्ध्रप्रदेश की एसआईबी ने मोबाईल टावर के डाटा के आधार पर 159 लोगों की सूची जारी कर दी थी, जो की सही नहीं थी।
टेस्टिंग को लेकर दिया जवाब
सीएम से टेस्ट व अन्य क्षमताओं के बारे में पूछा गया। इस पर उन्होंने कहा कि प्रदेश में एम्स रायपुर और जगदलपुर के मेडिकल कॉलेज में कोरोना वायरस की टेस्टिंग की व्यवस्था है। अभी राजधानी रायपुर के मेकाहारा अस्पताल में टेस्टिंग की अनुमति मिली है। हमारे पास क्वारैंटाइन की व्यवस्था और पर्याप्त मात्रा में वेन्टिलेटर हैं। राज्य सरकार द्वारा टेस्टिंग किट के लिए टेंडर कर दिया गया है। जल्द ही किट भी उपलब्ध हो जाएंगे।
तो संक्रमण नहीं फैलता
सीएम ने कहा कि कोरोना संक्रमण चीन से पूरी दुनिया में फैला। यदि इन्टरनेशनल फ्लाईट से आने वाले लोगों को वहीं क्वारैंटाइन किया जाता और वहीं उनकी जांच की जाती, तो संक्रमण नहीं फैलता। उन्होंने बताया कि राज्य की सीमा सील कर दी गयी है। राज्य के भीतर लॉकडाउन में सिर्फ बेहद जरुरी सेवाओं के लिए छूट दी गयी। बाहर से आवागमन नहीं होने के कारण संक्रमण से बचे रहे। अनुसूचित क्षेत्र में महुआ और इमली की खरीदी वन समितियों और स्व-सहायता समूह के माध्यम से समर्थन मूल्य पर की जा रही है। छत्तीसगढ़ के जो मजदूर दूसरे राज्यों में फंसे हैं, उनकी सहायता के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किए गए हैं और हेल्पलाईन नम्बर जारी किया गया है।