रायगढ़। शहर की सांस्कृतिक संस्था गुड़ी द्वारा उज्जैन में आयोजित राष्ट्रीय नाट्य समारोह में गुड़ी संस्था के निर्देशक एवं खैरागढ़ संगीत विश्वविद्यालय में नाट्य विभाग के प्रोफेसर डॉ. योगेन्द्र चौबे को 8 वां अभिनव रंग सम्मान से सम्मानित किया गया। इसके साथ ही बाबा पाखण्डी नाटक का मंचन किया गया जिसे काफी सराहना मिली।
मध्यप्रदेश के उज्जैन में आयोजित अभिनव रंग मंडल के 34 वें राष्ट्रीय नाट्य समारोह में 21 जनवरी की शाम रायगढ़ की नाट्य संस्था गुड़ी द्वारा बाबा पाखंडी नाटक की प्रस्तुती दी गई। लोक नाट्य शैली नाचा की रंग आभा वाले और छत्तीसगढ़ी बोली बानी से सराबोर हास्य नाटक बाबा पाखंडी ने उज्जैन वासियों को खुब गुदगुदाया। खास बात यह है कि नाटक में छत्तीसंगढ़ी लोक संगीत रचा बसा है। नाटक का मुख्य पात्र टेटका है। टेटका छत्तीसगढ़ी का शब्द है जिसका अर्थ होता है गिरगिट। यथा नाम तथा गुण अनुसार ही टेटका बाबागिरी से लेकर नेतागिरी तक की सभी सीढियां चढ़ता है। इस मुख्य पात्र की भूमिका में कलाकार टिंकू देवांगन ने कमाल का यादगार अभिनय किया। नाटक के दूसरे कलाकार भी अपने उत्कृष्ट अभिनय से इस प्रस्तुति को दर्शकों के लिए एक विशिष्ट रंग अनुभव बना देते हैं। वर्तमान राजनीतिक परिवेश पर यह नाटक करारा प्रहार करता है। विजय दान देथा की मुल कहानी पर आधारित इस नाटक की परिकल्पना और निर्देशन प्रसिद्ध रंगकर्मी और रंग शिक्षक डॉ योगेंद्र चौबे का था। वहीं नाटक के समाप्ति के बाद डॉ. योगेन्द्र चौबे को 8 वां अभिनव रंग सम्मान से सम्मानित किया गया, जिसमें उन्हे शाल श्री फल के साथ प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया। नाटक में गुड़ी संस्था के निर्देशक योगेन्द्र चौबे, रविन्द्र चौबे,व्यवस्थापक विवेक तिवारी, रंगमकर्मी टिंकू देवांगन, धीरज सोनी,राजेश जैन, अरूण भांगे,प्रतिज्ञा व्यास, बबली मार्कण्डेय, चन्द्रहास बघेल,परमेश्वर, परमानंद पाण्डेय, संकल्प साहू, सोमनाथ ने किरदार निभाया। वहीं हितेन्द्र वर्मा, जानेश्वर ताङ्क्षडया, राहुल यादव ने सुमधुर संगीत से नाटक में समां बांधा जिससे दर्शक अंत तक बंधे रहे।