रायगढ़। थाना चक्रधरनगर के अपराध क्रमांक 219/2020 धारा 363 भा.द.वि. जोड़ने धारा 366, 376, भा.द.वि. 4,6 पास्को एक्ट के प्रकरण में करोना कॉल के बावजूद माननीय अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश, फास्ट ट्रेक कोर्ट रायगढ़ के पीठासीन अधिकारी श्रीमती पल्लवी तिवारी द्वारा रिकॉर्ड समय में प्रकरण के सभी गवाहों, साक्ष्य का परिशीलन कर प्रकरण के आरोपी जितेंद्र कुमार पिता स्वर्गीय लक्ष्मण उरांव उम्र 27 वर्ष निवासी ग्राम गोपालपुर थाना चंद्रपुर जिला जांजगीर-चांपा को आरोपी पर आरोपित धारा 363, 366, 376(3) IPC एवं 4(2) पास्को एक्ट में दोषी करार देते हुए आरोपी को 20 वर्ष की सश्रम कारावास व अर्थदंड से दंडित किया गया है । माननीय न्यायालय द्वारा आरोपी को अर्थदंड की राशि अदा नहीं करने पर पृथक से 6 माह का अतिरिक्त कारावास भुगतान की सजा सुनिश्चित करने का आदेश किया गया है।
प्रकरण का संक्षिप्त विवरण अनुसार थाना चक्रधरनगर क्षेत्र की 16 वर्ष से कम आयु की बालिका के दिनांक 17/08/2020 को बिना बताए घर से कहीं चले जाने की रिपोर्ट बालिका के परिजन दिनांक 21 अगस्त 2020 को दर्ज कराए थे जिस पर थाना चक्रधरनगर में अपराध क्रमांक 219/2020 धारा 363 भा.द.वि. के अंतर्गत अपराध पंजीबद्ध किया गया था । प्रकरण की विवेचना तत्कालीन थाना प्रभारी निरीक्षक विवेक पाटले द्वारा की गई है, जिनके द्वारा बालिका की पतासाजी दौरान दिनांक 27/08/2021 को आरोपी जितेंद्र कुमार उरांव के निवास स्थान गोपालपुर, चंद्रपुर से बालिका को आरोपी जितेंद्र के कब्जे से दस्तयाब किया गया । विवेचना अधिकारी द्वारा बालिका का कथन, मुलाहिजा पश्चात विधिवत प्रकरण में धारा 366, 376 IPC एवं 4,6 पास्को एक्ट विस्तारित कर प्रकरण का चालान 09 अक्टूबर 2020 को माननीय न्यायालय प्रस्तुत किया गया । माननीय अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश फास्ट ट्रेक कोर्ट रायगढ़ के न्यायालय में प्रकरण की सुनवाई हुई, जहां अभियोजन की ओर से विशेष लोक अभियोजक श्री मनमोहन सिंह ठाकुर एवं अभियुक्त की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री धीरज जायसवाल द्वारा पैरवी की गई । कोरोना काल के बावजूद माननीय न्यायालय द्वारा समय पर अभियोजन एवं अभियुक्त पक्ष के गवाहों, प्रस्तुत साक्ष्य का गहन विशलेष्ण कर निर्णय पारित किया गया है ।
पुलिस अधीक्षक श्री अभिषेक मीणा द्वारा सभी थाना, चौकी प्रभारियों को नाबालिगों के गुम व दुष्कर्म के मामलों को गंभीरता पूर्वक लेते हुए आरोपियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलाने हेतु प्रकरण के गवाहों से ठोस साक्ष्य एकत्र कर समयावधि में चालान न्यायालय पेश करें तथा माननीय न्यायालय द्वारा गवाहों एवं आरोपी को जारी संमस/वारंटो के परिपालन में उन्हें न्यायालय उपस्थित करने निर्देशित किया गया है ।