बिलासपुर. राज्य के बाहर से एमबीबीएस करने के बाद छत्तीसगढ़ में सरकारी नौकरी करने वाले डाॅक्टरों को हाईकोर्ट ने बड़ी राहत दी है। अब ये डॉक्टर भी राज्य के मेडिकल कॉलेजों में पीजी (पोस्ट ग्रेजुएशन) में एडमिशन ले सकेंगे। इस संबंध में गुरुवार को याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने आदेश जारी कर पीजी सीट में उन्हें काउंसलिंग में शामिल होने की इजाजत दे दी है।
दरअसल, बस्तर संभाग में पदस्थ डॉ. शैलेंद्र कुमार, डॉ. शिल्पा नायक और डॉ. पेकेती विजय और बिलासपुर में पदस्थ डॉ. साकेत साहू ने अधिवक्ता आकाश पांडेय के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की। इसमें कहा गया कि मेडिकल की पीजी सीट पर सिर्फ राज्य से एमबीबीएस की पढ़ाई करने वालों को ही एडमिशन दिया जा रहा है। अन्य राज्य या देश से पढ़ाई कर आने वालों के लिए इस पर रोक है।
याचिका में कहा- जब सरकारी नौकरी दी जा सकती है तो प्रवेश क्यों नहीं
याचिका में कहा गया कि दूसरे देश या अन्य राज्य से एमबीबीएस करके आने वाला डॉक्टर को छत्तीसगढ़ में सरकारी नौकरी दी जा रही है। जब वो राज्य में सरकारी नौकरी कर सकता है तो पीजी की पढ़ाई में एडमिशन क्यों नहीं ले सकता। मामले को सुनने के बाद कोर्ट ने राज्य के याचिकाकर्काताओं जो सरकारी चिकित्सक हैं उन्हें काउंसलिंग में हिस्सा लेने की अनुमति जारी कर दी।
ईडब्ल्यूएस सीट पर अंतिम सुनवाई तक हाईकोर्ट की रोक
दूसरी याचिका डॉ. आदित्य कुमार राजवाड़े सहित अन्य ने अधिवक्ता प्रफुल्ल एन भारत के माध्यम से दायर की। इसमें इकोनॉमी वीकर सेक्शन की सीट को चुनौती दी गई है। राज्य सरकार ने बिलासपुर और रायपुर मेडिकल कॉलेज की सीटों में रिजर्वेशन लागू किया है। कोर्ट ने सरकार से दो सप्ताह में अपना जवाब प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। साथ ही कहा है कि काउंसलिंग करें, लेकिन उस पर अंतिम सुनवाई तक एडमिशन नहीं देंगे। दोनों ही मामलों की सुनवाई जस्टिस मनींद्र मोहन श्रीवास्तव और जस्टिस गौतम भादुड़ी की युगलपीठ में हुई।