कोरोना संकट में फेसबुक हैकिंग से ठगी, मदद के बहाने खातों में सेंध, जालसाज हैकर नाम, मोबाइल नंबर, जन्मतिथि वाले पासवर्ड की आईडी कर रहे हैक

रायपुर. लॉकडाउन में फेसबुक हैकिंग और उसके जरिये ठगी का बड़ा खेल चल रहा है। ऑन लाइन ठगी में माहिर जालसाज लोगों की फेसबुक हैक कर उसे खुद ऑपरेट कर रहे हैं। फेसबुक हैकिंग के बाद हैकर फ्रेंड लिस्ट में जुड़े लोगों से चैट कर रहे हैं। वे बताते हैं कि वे लॉकडाउन फंस गए हैं। उन्हें मदद की जरूरत है। इस तरह वे झांसा देकर ठगी कर रहे हैं। पिछले 30 दिन में 32 केस राजधानी में दर्ज कराए जा चुके हैं। ठगी के शिकार होने वालों में पुलिस के अफसर भी शामिल हैं। कोरोना संकट में फंसने की बात सुनकर कोई भी मदद के लिए तैयार हो रहा है। ठग इसी का फायदा उठा रहे हैं। 

ठगी के लिए बाकायदा खाता या ई-वायलेट का नंबर दिया जा रहा है। फेसबुक हैकिंग के अलावा कैशबैक, ई-रिचार्ज के नाम पर भी ऑन लाइन ठगी की जा रही है। पुलिस अफसरों के अनुसार करीब एक दर्जन शिकायतें अभी जांच में हैं। उनका परीक्षण किया जा रहा है। मोबाइल नंबर और खाता नंबरों के आधार पर पड़ताल की जा रही है। अब तक की जांच में पता चला है कि ज्यादातर उन लोगों की फेसबुक या अन्य सोशल मीडिया अकाउंट हैक हो रहा हैं, जिन्होंने अपने ही नाम, सरनेम या मोबाइल नंबरों को पासवर्ड रखा है। जन्म की तारीख को पासवर्ड रखने वालों की आईडी भी हैक हो रही है। आईडी हैक करने के बाद हैकर फ्रेंड लिस्ट देखकर चैट मैसेंजर से अर्जेंट मदद मांग रहे हैं। अपने साथी, रिश्तेदार या करीबी का मैसेज देखकर लोग बिना बातचीत किए ही खाते में पैसा जमा कर रहे हैं।
नाम और नंबर पर नहीं होना चाहिए पासवर्ड

एडीजी तकनीकी सेवा आरके विज ने लोगों से अपील की है कि जो भी अपने सोशल मीडिया लेकर बैकिंग सेक्टर में भी अपना पासवर्ड नाम, मोबाइल नंबर, सरनेम या जन्म तारीख पर न रखें। हैकर आईडी हैक करने के लिए सबसे पहले इसी ऑप्शन को खंगालते हैं। इन विकल्पों पर प्रयास करने से एक न एक की का पासवर्ड वही निकल जाता है और हैकर आसानी से आईडी हैक कर लेते हैं।

भोजन बनाने का दिया ऑर्डर, फिर ठगी
नवा रायपुर राखी थाना में भोजन के नाम पर ठगी की गई है। एक महिला को फौज के अधिकारी के नाम सेे कॉल आया। अधिकारी ने कहा कि उन्हें कोरोना संकट में फंसे गरीबों को भोजन के पैकेट बंटवाना है। उनके पास बांटने की सुविधा नहीं है। महिला को 40 लोगों के भोजन बनाने का ऑर्डर दिया गया। कुछ देर बाद कॉल करके कहा कि पहले पेमेंट कर देते हैं, उसके बाद भोजन बनाइगा। महिला के ई-वायलेट का नंबर लिया गया। महिला के नंबर पर एक ओटीपी नंबर आया फिर खाते से दस हजार निकाल लिया गया।

ऑनलाइन रिचार्ज और फूड डिलीवरी में चूक पड़ रही महंगी
लॉकडाउन में अब ज्यादा से ज्यादा लोग मोबाइल से लेकर टीवी रिचार्ज ऑनलाइन करवा रहे हैं। ऑनलाइन पेमेंट या रिचार्ज कराने पर कैशबैक भी मिल रहा है। जालसाज कैशबैक के फार्मूले से ही आसानी से जाल में फंसा रहे हैं। कैशबैक देने का झांसा देकर ठग फर्जी लिंक भेज रहे हैं, जिसे खोलते ही खाते से पैसे पार रहे हैं। इंटरनेट या गुगल में जाकर मोबाइल और टीवी रिचार्ज का एप व नंबर सर्च करते समय सावधानी जरूरी है। ठगों ने इंटरनेट पर फर्जी एप और नंबर अपलोड कर रखा है। नेट पर सर्च करने के दौरान जालसाजों का फर्जी नंबर सामने आता है और लोग उसी में कॉल कर फंस जाते हैं।

साइबर की टीम लगी है जांच में
एएसपी पंकज चंद्रा ने बताया कि उनकी साइबर की टीम 24 घंटे काम कर रही है। शिकायत लेकर आने वाले हर पीड़ित के लिए पुलिस की पहली प्राथमिकता पैसा लौटाना होता है। केस बाद में दर्ज किया जाता है, पहले उनका पैसा लौटाने की प्रक्रिया की जाती है। संबंधित कंपनी जिस माध्यम से पैसाें का ट्रांजेक्शन हुआ है, उन्हें मेल किया जाता है। उसके बाद पुलिस की बाकी प्रक्रिया की जाती है।


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