गांधी नगर गुजरात से श्रमिक ट्रेन से बिलासपुर लौटे श्रमिकों से किराए के नाम पर अवैध वसूली किए जाने की शिकायत मिलने पर कलेक्टर बिलासपुर ने इस मामले की जांच के निर्देश नगर आयुक्त, समस्त एसडीएम, जनपदों के मुख्य कार्यपालन अधिकारी, नगर पंचायतों के मुख्य नगर पालिका अधिकारी को दिए। संबंधित अधिकारियों ने अपने-अपने इलाके के क्वारेंटीन सेंटर में गांधी नगर गुजरात से आए श्रमिकों से इस मामले में पूछ-ताछ कर उनके बयान दर्ज किए। ग्राम पंचायत लिटिया विकासखण्ड कोटा के श्रमिक जोगेन्दर पिता रामसाय एवं 10 अन्य श्रमिकों ने बताया कि उनके मालिक पंकज स्टार फर्म गांधी नगर द्वारा प्रति श्रमिक 750 रुपए के मान से कुल 8 हजार 250 रुपए की राशि रेल्वे टिकट हेतु ली गई है। इसी तरह बिल्हा विकासखण्ड के ग्राम पंचायत अमेरी-अकबरी के सात श्रमिकों से 5250 रुपए, ग्राम पंचायत कुंवा के 7 श्रमिकों से 5000 रुपए, ग्राम दुर्गडीह कनेरी के 21 श्रमिकों से 15 हजार 200 रुपए, ग्राम पंचायत बिटकुली के 2 श्रमिकों से 1600 रुपए तथा ग्राम पंचायत झाल के 13 श्रमिकों से 13 हजार 500 रुपए तथा ग्राम पंचायत सेवती के 2 श्रमिकों चेतन और नंदनी से 1500 रुपए ईंट भट्ठा मालिकों ने वसूले हैं। श्रमिक सोमचंद कुर्रे ने अपने बयान में कहा है कि अहमदाबाद में उनके मालिक दिनेश भाई सुबोध भाई द्वारा कुल 5 लोगों के किराए के एवज में 3750 रुपए लिया गया है। जिसे बाद में सरदार पुनीत कुर्रे के माध्यम से वापस करने की बात कही गई है। श्रमिक राजेश्वर चतुर्वेदी ने अपने बयान में कहा है कि उनके ईंट भट्ठा मालिक प्रवीण भाई द्वारा तीन श्रमिकों से 2250 रुपए की राशि ली गई है।
कलेक्टर बिलासपुर ने श्रमिकों के बयान की आधार पर अपनी 23 पेज की विस्तृत जांच रिपोर्ट में इस बात का स्पष्ट उल्लेख किया है कि पंकज स्टार फर्म गांधी नगर के मालिक द्वारा 11 श्रमिकों से 8 हजार 250 रुपए, ईंट भट्ठा मालिक पलक भाई द्वारा 7 श्रमिकों से 5250 रुपए, कमलेश भाई द्वारा 9 श्रमिकों से 6600 रुपए, प्रवीण प्रजापति एवं उसके मुंशी द्वारा 23 श्रमिकों से 17 हजार 100 रुपए और भरत भाई द्वारा 10 श्रमिकों से 7500 रुपए, विनोद लिमही द्वारा 3 श्रमिकों से 2250 रुपए, दिनेश भाई सुबोध भाई द्वारा 5 श्रमिकों से 3750 रुपए तथा प्रवीण भाई द्वारा 3 श्रमिकों से 2250 रुपए इस प्रकार बिलासपुर इलाके के 71 श्रमिकों से उनके ईंट भट्ठा मालिकों द्वारा 52 हजार 950 रुपए की राशि स्पेशल श्रमिक ट्रेन किराए के नाम पर अवैध रूप से वसूल की गई है।