मदनवाड़ा कांड की 11वीं बरसी / नक्सल हमले में एसपी समेत 29 पुलिसकर्मी हुए थे शहीद, घटना के बाद 37 नक्सली ढेर हुए थे

  • कोरकोट्‌टी गांव में 350 नक्सलियों ने सर्चिंग पर निकले पुलिस जवानों पर किया था हमला
  • इसे हमले को नक्सलियों ने नाम दिया था ऑपरेशन विजय, शहीद जवानों के हथियार भी लूटे थे
  • इस इलाके में अब कमजोर पड़ा नक्सलवाद नए लोग नहीं जुड़ते नक्सलियों से, स्कूल, सड़कें भी बनीं

राजनांदगांव. प्रदेश में आज 11 साल पुरानी घटना को याद किया जा रहा है, जब नक्सलियों ने एक साथ 29 पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी थी। राजनांदगांव जिले के  कोरकोट्‌टी-मदनवाड़ा इलाके में बड़ा नक्सल हमला हुआ था। एसपी वीके चौबे भी इस घटना में शहीद हुए थे। रविवार को मानपुर थाना इलाके में पुलिस विभाग के बड़े अधिकारी और शहीद जवानों के परिजन ने शहादत को सलाम किया। गर्व के अहसास के साथ फूल अमर जवान स्मारक पर अर्पित किए गए। जानिए तब इस बड़े नक्सल हमले की रिपोर्टिंग कर रहे सीनियर जर्नलिस्ट संदीप कुमार साहू की आंखों देखी।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का ट्वीट 

12 जुलाई का वो दिन 

संदीप बताते हैं कि फोन पर सुबह-सुबह उन्हें सूचना मिली कि कोरकोट्‌टी गांव के पास नक्सलियों ने दो जवानों को मार दिया। इस जानकारी को पुष्ट करने में लगे थे। तभी पता चला कि अपनी एक टीम लेकर तत्कालीन एसपी वीके चौबे मौके के लिए रवाना हो गए। दोपहर तक यह जानकारी मिली कि फायरिंग अब भी जारी है और एसपी भी इसमें फंस गए हैं। पूरे इलाके को 350 से ज्यादा नक्सलियों ने घेर रखा था। भारी गोली बारी शुरू हो गई थी।  शाम को जिला मुख्यालय में एसपी समेत 29 पुलिस जवानों की लाशें आईं।

पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया था। तब मुख्यमंत्री रहे डॉ रमन सिंह घटना की जानकारी दिल्ली में बैठी केंद्र सरकार को दे रहे थे। पूरे देश में इसी घटना की चर्चा थी। यह पहली घटना थी जब एसपी रैंक  के अधिकारी को नक्सलियों ने मारा था। अब तक राज्य में इस तरह की दूसरी कोई घटना नहीं हुई। इस हमले को नक्सलियों ने ऑपरेशन विजय नाम दिया था। पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक पुलिसवालों को गोली लगने पर नक्सली हो-हाे का शोर कर खुशियां मना रहे थे। इस घटना का वीडियो भी बना रहे थे।

नक्सलियों ने जवानों को मारने के बाद सभी के हथियार लूट लिए। बुलेटप्रूफ जैकेट भी नक्सली साथ ले गए। इसके बाद सभी हथियारों को एक जगह रखकर वीडियो बनाया और ऐसे पेश किया जैसे किसी अपराधी को मारने के बाद पुलिस या सेना पेश करती है। करीब 300 की तादाद में नक्सली जमा हुए और जश्न मनाया। पुलिस और सरकार के खिलाफ नक्सलियों ने नारे बाजी की।

इस घटना के बाद मदनवाड़ा

इस वारदात के बाद मदनवाड़ा-कोरकोट्‌टी इलाका नक्सलियों का गढ़ बन गया। पुलिस के लिए यह वारदात बड़ा चैलेंज थी। बीते 11 सालों में इस इलाके से नक्सलवाद का जहर धीरे-धीरे खत्म होने लगा है। पुलिस रिकार्ड के मुताबिक 2009 के बाद अब तक इस पूरे इलाके से किसी भी नए युवा ने नक्सल संगठन की सदस्यता नहीं ली। खून से लथपथ जवानों के शव को देखने के बाद ग्रामीणों और युवाओं में नक्सलवाद के खिलाफ बड़ी नफरत जागी।

इस इलाके में शिक्षा को लेकर भी बड़ा बदलाव आया है। कभी मदनवाड़ा के हाईस्कूल का रिजल्ट शून्य प्रतिशत होता था। यहां कक्षा दसवीं में एक भी बच्चा पास नहीं हो पाता था। साल 2020 में आए रिजल्ट को देखें तो इस स्कूल का रिजल्ट 88 फीसदी पर पहुंच गया है। इस इलाके में सक्रिय कुल 37 हार्डकोर नक्सलियों को मार गिराया गया है। वहीं 39 नक्सलियों ने इन सालों में पुलिस के सामने सरेंडर किया है। स्कूल की मरम्मत और नई सड़कें बनने की वजह से यह इलाका अब सामान्य गांवों की तरह खुशहाल होने की राह पर है।

हमले में शामिल नक्सली ने सजाया जवानों का स्मारक 

12 जुलाई 2009 की इस वारदात में नक्सलियों के साथ हमलावर रहे छोटू पद्दा की जिंदगी बदल गई है। शनिवार की सुबह इसने प्यारेलाल चौक स्थित शहीद एसपी वीके चौबे के प्रतिमा स्थल को सजाया। पेंटिंग और सफाई का काम किया। तब वीके चौबे के साथ आए जवानों पर छोटू ने गोलियां बरसाईं थीं। इस हमले में छोटू की पत्नी सुनीता भी मौजूद थी। गढ़चिरौली के रानकट्‌टा का रहने वाले छोटू ने वर्ष 2012 में पत्नी के साथ आत्मसमर्पण किया था। आज वो पुलिस महकमे में बतौर आरक्षक काम कर रहा है। उसने बताया कि वर्तमान में वह अपनी पत्नी के साथ खुशहाल जीवन जी रहा है।


LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here