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अचानकमार टाइगर रिजर्व क्षेत्र में पहली बार दिखे नई प्रजाति के पक्षी, देखें तस्वीरें

Chhattisgarh Nature Story अचानकमार टाइगर रिजर्व क्षेत्र में पहली बार दिखे नई प्रजाति के पक्षी, देखें तस्वीरें
 

रायपुर। Nature Story: पंछी, नदियां, पवन के झोंके, कोई सरहद ना इन्हें रोके, सरहद तो सिर्फ इंसानों के लिए है। परिंदे सरहद के मोहताज नहीं होते। सरहद की लकीरों और सियासी बंदिशों से दूर आजाद पक्षी कहीं भी, किसी भी मुल्क में आशियाना बना लेते हैं। गर्मी शुरू होते ही छत्तीसगढ़ में प्रवासी पक्षियों का आना शुरू हो जाता है। अचानकमार टाइगर रिजर्व क्षेत्र के जंगलों में इन दिनों वन विभाग पक्षियों का सर्वे कर रहा है। सर्वे के दौरान वहां पहली बार चार नई प्रजाति के पक्षी देखे गए हैं।

वन विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक प्रदेश में सर्वप्रथम टाइगर रिजर्व क्षेत्र में पक्षियों का सर्वे शुरू किया गया है। वर्तमान में अचानकमार के जंगलों में 200 प्रजाति के पक्षी देखे गए हैं। इनमें से करीब 80 प्रकार के पक्षियों की सूची तैयार कर ली गई है।

टिकल ब्लू फ्लाई कैचर, व्हाइट रम्प्ड शामा, ऑरेंज हेडेट थ्रस और इंडियन पित्ता (सवरंग) नामक पक्षी यहां पहली बार देखने को मिले हैं। इंडोनेशिया और चीन के ग्रे बैलिड कक्कु सैकड़ों की संख्या में हर साल अचानकमार पहुंचते हैं। अचानकमार में प्रवासी पक्षियों ने घोंसला बनाना शुरू कर दिया है। भारत के पड़ोसी एशियाई देशों से उड़ान भरकर पक्षियों के आने का सिलसिला मई से शुरू हो जाता है, जो जून तक जारी रहता है।

पक्षियों की खासियत

व्हाइट रम्प्ड शामा: – यह बहुत शर्मिला होता है। पहाड़ों और घने जंगलों में पाया जाता है। इसकी खासियत यह है कि गाता बहुत प्यारा है। ऊपर की तरफ काला और नीचे नारंगी रहता है। यह इंडोनेशिया, मलेशिया और भारत में पाया जाता है।

टिकल ब्लू फ्लाई कैचर: – यह गौरैया के आकार का होता है। इसका ऊपर का कलर नीला और नीचे का नारंगी होता है। यह बांग्लादेश, वियतनाम, श्रीलंका में पाया जाता है। यह अप्रैल से अगस्त के बीच अंडे देता है।

ऑरेंज हेडेट थ्रस: – यह मैना के छोटा होता है। घने जंगलों और बांस के वन में पाया जाता है। इसकी खासियत है कि यह नाले के आसपास रहता है। इसके ऊपर का कलर ग्रे ब्लू और सिर नारंगी कलर का होता है। यह इंडोनेशिया, बांग्लादेश, श्रीलंका और भारत में पाया जाता है।

इंडियन पित्ता (सवरंग): – यह भारत, नेपाल, श्रीलंका और पाकिस्तान में पाया जाता है। यह कई रंग में होता है। ऊपर हरा, नीला और नीचे की तरफ नारंगी, लाल कलर होता है। आंखों के पास काला होता है। यह सूखे पत्तों को पलटकर नीचे छिपे कीड़ों को खाता है। इसमें पूंछ नहीं होती है।

तालाबों के किनारे बना रहे वॉच टावर

वन विभाग के अधिकारी ने बताया कि प्रारंभिक रूप से अचानकमार स्थित साटापानी और सराईपानी तलाब के किनारे पेडों पर करीब छह फीट के ऊपर लकड़ी का वॉच टावर बनाया जा रहा है। वॉच टावर पर बैठकर ही वन विभाग के अधिकारी प्रवासी पक्षियों पर नजर रखेंगे। वन विभाग प्रदेश भर में दिसंबर तक सर्वे करेगा।

छह माह बाद रवानगी

प्रति वर्ष पक्षियों की आमद मई से शुरू होती है। आमतौर पर जुलाई लगते ही ये घोंसला बनाते हैं। अंडों से चूजे निकलने के बाद अक्टूबर-नवंबर के मध्य ये पक्षी वापस लौट जाते हैं।

प्रदेश भर में पक्षियों का सर्वे किया जा रहा है। सर्वे में चार प्रजाति के नए पक्षी देखने को मिले हैं। पक्षियों के सर्वे के लिए तालाबों के किनारे लकड़ी का टावर बनाया जा रहा है, ताकि उस पर बैठकर आसानी से सर्वे किया जा सके।– संजीता गुप्ता, फील्ड डॉयरेक्टर अचानकमार टाइगर रिजर्व क्षेत्र


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