नई दिल्ली, कोरोना वायरस रोधी वैक्सीन अब 2 साल से 18 साल के बच्चों को भी लग सकेगी। न्यूज एजेंसी एएनआइ के अनुसार, आधिकारिक सूत्र ने बताया कि सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमिटी (एसईसी) ने डीसीजीआई (ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया) को 2-18 साल के बच्चों के लिए भारत बायोटेक की वैक्सीन कोवैक्सिन के उपयोग के लिए एक सिफारिश की है। खबर है 2 साल से 18 साल के बच्चों को कोवैक्सीन का टीका लगाया जा सकेगा, इसकी मंजूरी मिल गई है। भारत सरकार द्वारा जल्द ही बच्चों के टीकाकरण से संबंधित गाइडलाइन जारी की जाएगी। बता दें कि कोवैक्सीन को भारत बायोटेक और आइसीएमआर ने साथ में तैयार किया है। कोवैक्सीन ट्रायल में 78 फीसद असरदार पाई गई है।
बच्चों के लिए कोरोना वैक्सीन पर भारत समेत कई देश काम कर रहे हैं। अमेरिका पहला ऐसा देश है, जहां 18 साल से कम उम्र के लोगों को कोरोना रोधी वैक्सीन दिए जाने की शुरुआत की गई। कुछ विशेषज्ञों का मानना था कि भारत में अगर कोरोना वायरस संक्रमण की तीसरी लहर आती है, तो उसमें सबसे ज्यादा प्रभावित बच्चे होंगे। ऐसे में बच्चों के लिए कोरोना वैक्सीन की जरूरत महसूस की जा रही थी। हालांकि, अब वैक्सीन आने के बाद बच्चे भी इस जानलेवा वायरस से लड़ने में सक्षम हो जाएंगे।
बताया जा रहा है कि पिछले कुछ समय से बच्चों पर चल रहे कोरोना वैक्सीन के ट्रायल के नतीजे संतोषजनक हैं। ऐसे में जल्द ही सरकार की ओर से बच्चों को कोरोना टीका लगाने से जुड़े दिशानिर्देश जारी किए जा सकते हैं। बच्चों को कोरोना वैक्सीन की कितनी डोज दी जाएंगी? अगर एक से ज्यादा डोज दी जाएंगी, तो उनमें कितना अंतर होगा? बच्चों पर कोरोना वैक्सीन कितनी असरदार साबित हुई है? इन सवालों का जवाब अभी आधिकारिक सूत्रों से मिलना बाकी है। हालांकि, ऐसा माना जा रहा है कि बच्चों को भी कोरोना की दो डोल लेनी होंगी।
भारत में इससे पहले जायडस कैडिला की कोरोना वैक्सीन ZyCoV-D को आपातकालीन इस्तेमाल के लिए डीसीजीआइ से मंजूरी दी गई थी। यह 12 साल के बच्चों, किशोरों और बड़ों को लगाई जा सकेगी। भारत में बनी यह दुनिया की पहली डीएनए बेस्ड वैक्सीन थी। वैसै बता दें कि भारत में इस समय कोविशील्ड, कोवैक्सीन और स्पूतनिक-वी वैक्सीन सिर्फ वयस्कों को दिए जा रहे हैं। इन वैक्सीन की दो डोज दी जाती हैं। भारत में अब तक लगभग 97 करोड़ कोरोना डोज दी जा चुकी हैं।