अब होम आइसोलेशन में 7 दिन रहना होगा..नई गाइडलाइन में 93 प्रतिशत हुआ आक्सीजन का पैमाना, होम आइसोलेशन के नियमों का सख्ती से करें पालन

रायगढ़ 08 जनवरी 2021. स्वास्थ्य विभाग आगामी दिनों में कोरोना संक्रमण के बढ़ने की आशंका जताई है और लोगों को सावधानी बरतने और अति आवश्यक कार्य पड़ने पर ही घर से बाहर निकलने की लगातार अपील की है। ओमिक्रॉन के ज्यादातर मरीजों में गंभीर लक्षण नहीं हैं, लेकिन यह डेल्टा वैरिएंट के मुकाबले 30 गुना तक तेजी से फैलता है।
बिना लक्षण या हल्के लक्षण वाले कोरोना मरीजों को अब घरों पर 14 दिनों के बजाय सिर्फ 7 दिन आइसोलेट या क्वारैंटाइन रहना होगा। यही नहीं, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ताजा गाइडलाइन में ऑक्सीजन सैचुरेशन का पैमाना भी 94% से बदलकर 93% कर दिया गया है।

गाइडलाइन के मुताबिकआइसोलेशन के इन 7 दिनों की शुरुआत कोरोना की जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आने के दिन से मानी जाएगी। आइसोलेशन के दौरान अगर मरीज को लगातार 3 दिनों तक बुखार नहीं आए तो उसे आठवें दिन से कोरोना निगेटिव माना जाएगा। इसके लिए कोरोना की जांच भी जरूरी नहीं होगी।

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एसएन केसरी ने बताया: “एसिम्पटोमेटिक मरीज ऐसे लोग को माना जाएगा जिनकी रिपोर्ट तो कोरोना पॉजिटिव आए, लेकिन उनमें कोरोना का कोई लक्षण न हों। और सामान्य परिस्थिति में रोगी की ऑक्सीजन सैचुरेशन 93% से अधिक हो। इससे पहले ऑक्सीजन सैचुरेशन का यह पैमाना 94% था। ऐसे मरीजों को हल्के लक्षण वाला माना जाएगा जिनमें बुखार के साथ या बुखार के बिना ऊपरी श्वसन तंत्र, यानी अपर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट से जुड़े लक्षण हों, लेकिन उन्हें सांस लेने में कोई दिक्कत न हो। इसके अलावा उनका ऑक्सीजन सैचुरेशन 93% से ज्यादा हो।“

कैसे मरीज होम आइसोलेट किए जाएंगे?
स्वास्थ्य मंत्रालय की नई गाईडलाइन के अनुसार अगर डॉक्टर लिखित तौर पर कह दें कि मरीज एसिम्पटोमेटिक है या फिर इसमें हल्के लक्षण हैं तो ऐसे मरीजों को होम आइसोलेट किया जाएगा।
ऐसे लोगों को होम आइसोलेट किया जाएगा जिनके घर पर मरीज के साथ-साथ उनके संपर्क में आए परिवार को भी क्वारैंटाइन करने की व्यवस्था हो।
मरीज की देखभाल के लिए एक व्यक्ति 24 घंटे रहना चाहिए। एक कंट्रोल रूम का नंबर परिवार के पास रहेगा और समय-समय पर आइसोलेटेड मरीज को गाइड किया जाएगा।

क्या बुजुर्गों को भी होम आइसोलेट किया जा सकेगा?
60 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्ग संक्रमित और गंभीर रोगों से पीड़ित लोगों को डॉक्टर की अनुमति के बाद ही होम आइसोलेट किया जाएगा।
एचआईवी या कैंसर से पीड़ित मरीजों को घर पर आइसोलेट नहीं किया जाता है, लेकिन अगर डॉक्टर इलाज करने के बाद होम आइसोलेशन की अनुमित देते हैं तो ऐसा किया जा सकता है।

होम आइसोलेट मरीजों को क्या करना है और क्या नहीं?
घर पर आइसोलेट मरीज को परिवार के बाकी सदस्यों से दूर रहना होगा। खास तौर से बुजुर्गों और गंभीर रोग से पीड़ित जैसे- बीपी, डायबिटीज और कैंसर से पीड़ित लोगों से दूरी बनाकर रखनी होगी।
जिस कमरे को स्वास्थ्य विभाग ने मरीज के लिए चुना है, उसी कमरे में आइसोलेट रहना होगी।
आइसोलेशन वाला कमरा खुला और हवादार होना चाहिए, ताकि ताजी हवा अंदर-बाहर हो सके।
आइसोलेट रहने वाले मरीज को कमरे के अंदर भी ट्रिपल लेयर मास्क का इस्तेमाल करना होगा। 8 घंटे के बाद या अगर मास्क गीला या गंदा हो जाता है तो उसे बदल देना चाहिए।
मरीज की देखभाल करने वाले व्यक्ति और मरीज दोनों को एन-95 मास्क का इस्तेमाल करना चाहिए।
मास्क को फेंकने से पहले उसे टुकड़ों में काट लें और कम से कम 72 घंटे के लिए पेपर बैग में डाल कर फेंकें मरीज को आराम करना चाहिए और शरीर में पानी की कमी नहीं होने देना चाहिए।
मरीज को बर्तन या फिर अन्य सामान परिवार के किसी भी सदस्य से शेयर नहीं करना होगा।
दरवाजा, स्विच बोर्ड, मास्क और दस्ताने जैसी उपयोगी चीजों को देखभाल करने वाले व्यक्ति या मरीज को साफ करते रहना चाहिए।
मरीज को अपना पल्स और ऑक्सीजन लेवल चेक करते रहना चाहिए।

देखभाल करने वाले व्यक्ति को क्या करना चाहिए और क्या नहीं?
मरीज की देखभाल करने वाले व्यक्ति को ट्रिपल लेयर मास्क का इस्तेमाल करना चाहिए।
जब मरीज के कमरे में जाएं तो, कोशिश करें कि N-95 मास्क लगाएं।
जब मास्क लगाकर कर रखें तो उसे संभालने के लिए हाथ से न छुएं। ऐसा करने से संक्रमण फैल सकता है।

आइसोलेशन के दौरान कब डॉक्टर को दिखाना जरूरी है?
अगर तीन से ज्यादा 100 डिग्री से ज्यादा बुखार बना रहे।
सांस लेने में दिक्कत हो।
एक घंटे में कम से कम तीन बार मरीज का ऑक्सीजन सैचुरेशन 93% से कम आए।
मरीज एक मिनट में 24 बार से ज्यादा सांस ले।
छाती में लगातार दर्द या दबाव महसूस हो।
मरीज को भ्रम होने लगे और उसे उठने में दिक्कत होने लगे।
बहुत ज्यादा थकान और मांसपेशियों में दर्द होने लगे।


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