श्री ओपी जिन्दल, जिन्हें प्यार और सम्मान से बाऊजी पुकारा जाता है, एक महान दूरद्रष्टा थे। मातृभूमि के प्रति प्रेम से प्रेरित होकर उन्होंने भारत को आत्मनिर्भरताकी राह दिखाई। उन्होंने अपनी मेहनत और प्रतिबद्धता से ओ.पी. जिन्दल ग्रुप जैसे विशाल औद्योगिक समूह की स्थापना की, जो आज राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा ही रहा है, पूरी मानवता को भी एक नई दिशा दिखा रहा है। वे जननायक थे, जिन्होंने आजीवन दलितों-पिछड़ों, किसानों, युवाओं और महिलाओं के हितों के लिए संघर्ष किया। बाऊजी की दूरदर्शिता का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि आज से 50 साल पहले ही उन्होंने आत्मनिर्भर भारत का सपना देखा और देश का भाग्य बदलने में अग्रणी भूमिका निभाई। बाऊजी की 93वीं जयंती पर शत् शत् नमन।
हरियाणा के हिसार जिले स्थित नलवा गांव में 7 अगस्त 1930 को एक किसान परिवार में जन्मे श्री ओपी जिन्दल को बचपन से ही मशीनों से लगाव था। उनकी मौलिक सोच, बदलाव लाने का उनका जुनून और इन सबसे बढ़कर भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए किये गए उनके प्रयास ने उन्हें मशीनों से बात करने वाले शख्सियत के रूप में विश्व विख्यात कर दिया।
उनका जन्म भले ही हरियाणा में हुआ हो, लेकिन पूरा भारत उनकी कर्मभूमि था। श्री जिन्दल ने 1952 में कोलकाता के निकट लिलुआ में एक स्टील पाइप, बेंड और सॉकेट फैक्ट्री लगाई और जन्मभूमि की सेवा के लिए वे वापस हिसार लौट आए। 1960 में उन्होंने हिसार में एक फैक्टरी लगाई जो आधुनिक भारत का एक गौरवपूर्ण मंदिर यानी ओपी जिन्दल ग्रुप का आधार बनी।
वे एक जन्मजात इंजीनियर थे। उन्होंने स्वदेशी तकनीक पर आधारित जिन्दल इंडिया नामक एक पाइप मिल की स्थापना की, जिसे आज जिन्दल इंडस्ट्रीज के नाम से जाना जाता है। 1970 में उन्होंने जिन्दल स्ट्रिप्स लिमिटेड की स्थापना की और शुरू से ही अनुसंधान पर ध्यान दिया। इसके बाद जिन्दल सॉ, जेएसडब्ल्यू, जिन्दल स्टेनलेस और जिन्दल स्टील एंड पावर के रूप में इस वटवृक्ष का विकास हुआ जो आज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्टील, पावर, माइनिंग, एवं इन्फ्रास्ट्रक्टर सेक्टर में उत्कृष्टता के उदाहरण हैं।
हिसार में सफलता के बाद बाऊजी ने छत्तीसगढ़ (तत्कालीन मध्य प्रदेश) को अपनी कर्मभूमि बनाया, जहां से उन्होंने पूरे विश्व में समूह के विस्तार की योजना बनाई। रायगढ़ में जेएसपी का कोयला आधारित स्पंज आयरन प्लांट, जो दुनिया में अपनी तरह का सबसे बड़ा है, राष्ट्र निर्माण के प्रति उनकी प्रतिबद्धता का परिचायक है।
1990 के दशक में उन्होंने सीजीपी (कोयला से गैस बनाने का प्लांट) आधारित डीआरआई (डायरेक्ट रिड्यूस्ड आयरन) यानी स्पांज आयरन प्लांट के बारे में सपना देखा, जिसे जेएसपी के ओडिशा स्थित अंगुल प्लांट में सपना किया उनके बेटे श्री नवीन जिन्दल ने। दुनिया में अपनी तरह के इस पहले प्लांट से बाऊजी की दूरदृष्टि का अनुमान लगाया जा सकता है।
एक अग्रणी उद्योगपति के रूप मेंबाऊजी ने सफलतापूर्वक सिर्फ उद्योग स्थापित नहीं किये बल्कि अपने प्लांट के आसपास रहने वाले समुदायों के कल्याण के लिए भी सदैव चिंतनशील रहे। आज भले ही सीएसआर (कंपनी सामाजिक दायित्व) आम बोलचाल में शामिल हो गया है लेकिन बाऊजी शुरू से ही समुदायों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध रहे। उन्होंने जहां कहीं भी फैक्टरी लगाई, वहां के लोगों के कल्याण के लिए उन्होंने स्कूल, अस्पताल और अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराईं। उनका दर्शन था,“वह उद्योग सफल नहीं हो सकता, जिसके आसपास का समाज विफल हो।”
इस्पात जगत के पुरोधा, स्वच्छ राजनीति के शिखर पुरुष और सामाजिक विकास के जननायक श्री ओपी जिन्दल ने जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में अमिट छाप छोड़ी। उनके जीवन और उपलब्धियों को आधुनिक प्रबंध सिद्धांतों में शामिल कर पूरी मानवता के कल्याण का मार्ग प्रशस्त किया जा सकता है। ओपी जिन्दल ग्रुप जैसे विशाल औद्योगिक समूह के संस्थापक और अग्रणी राजनेता होने के बावजूद बाऊजी ने कभी भी अपने कार्यालय का दरवाजा बंद नहीं रखा। आम हो या खास, सभी के लिए उनके दरवाजे 24 घंटे खुले रहे। उन्होंने कभी कोई सचिव नहीं रखा और वे लोगों से सीधे मिला करते थे। वे सभी के लिए सदैव सुलभ और उपलब्ध थे।अपनेलोगोंसेवेहदसेज्यादास्नेहकरतेथेऔरउनकाख्यालरखतेथे।सुख-दुखमें उनके अभिभावक थे।
बाउजी ने राजनीति में आकर जनसेवा की एक नई परिभाषा प्रस्तुत की। शिक्षा, स्वास्थ्य और लोगों की संपन्नता के लिए उन्होंने आजीवन संघर्ष किया। वे तीन बार हिसार से विधायक रहे और 1996 में हरियाणा के कुरुक्षेत्र से लोकसभा सांसद बनकर राष्ट्र की नीतियों और कार्यक्रमों के निर्माण में बड़ा योगदान दिया। 2005 में वे हिसार से पुनः विधायक बने और उन्हें हरियाणा का ऊर्जामंत्री बनाया गया।
समाजसेवा के प्रति समर्पित रहते हुए बाऊजी ने यह सुनिश्चित किया कि गरीब, जरूरतमंद, दलितों औरपिछड़ों को आर्थिक और राजनीतिक गतिविधियों से लाभ मिले।उन्हें मुख्यधारा में शामिल होने के पर्याप्त अवसर पैदा हों।
समाज के संतुलित एवं सौहार्द्रपूर्ण विकास की सकारात्मक सोच रखने वाले बाऊजी का “राष्ट्र प्रथम-लोग प्रथम” का दर्शन आज ओपी जिन्दल ग्रुप की नीतियों और कार्यक्रमों की आधारशिला है। संपूर्ण ओपी जिन्दल ग्रुप राष्ट्र के प्रति बाऊजी की प्रतिबद्धता का एक बड़ा उदाहरण है।
बाऊजी उम्मीद के दीपपुंज थे। जो कोई उनके पास आता, वो उनका मुरीद बन जाता था। देश ही नहीं बल्कि विदेश में भी उनके लाखों प्रशंसक थे। ये उनके दिये हुए संस्कार ही हैं कि उनके चारों बेटे श्री पृथ्वीराज जिन्दल (जिन्दल सॉ), श्री सज्जन जिन्दल (जेएसडब्ल्यू), श्री रतन जिन्दल (जिन्दल स्टेनलेस) और श्री नवीन जिन्दल (जेएसपीएल) आज उद्योग जगत के अग्रणी सितारों में गिने जाते हैं। ये सभी एक बेहतर कल के निर्माण के प्रति समर्पित हैं। इसी कड़ी में तीसरी पीढ़ी के सुश्री स्मिनू जिन्दल, श्री पार्थ जिन्दल, श्री अभ्युदय जिन्दल और श्री वेंकटेश जिन्दल बाऊजी की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं।
बाऊजी के बारे में कहा जाता है कि जहां दूसरों ने दीवारें देखीं, वहां उन्होंने दरवाजे देखे। वे समस्या में भी समाधान देखते थे और यही वजह है कि आज करोड़ों लोग उनके दिखाए मार्ग पर चलकर सुख, शांति और समृद्धि की जोत प्रज्ज्वलित कर रहे हैं। बाऊजी ने देश और लोगों की सेवा में अपना जीवन बिताया। उनका यह दर्शन ओपी जिन्दल ग्रुप का अनवरत मार्गदर्शन कर रहा है।