खुली सोच से ही खुले में शौच की आदत को दी जा सकती है मात : आयुक्त, विश्व शौचालय दिवस आज : शौचालय का इस्तेमाल करने से विभिन्न बीमारियों का रूकता है प्रसार


खुले में शौच को रोकने लिए कार्ययोजना तैयार : कमल पटेल

रायगढ़. 19 नवंबर 2020. शौचालय का सीधा संबंध स्वच्छता, आधी आबादी की निजता, विकसित देश की पहचान आदि के साथ जुड़ा है। पर्यावरणविदों ने खुले में शौच को पर्यावरण की सुरक्षा के लिए भी काफी नुकसानदायक बताया है। तभी तो आमजनों को शौचालय के प्रति जागरूक करने केउद्देश्य से नवंबर माह की 19 तारीख को विश्व शौचालय दिवस (व‌र्ल्ड ट्वायलेट डे) मनाया जाता है। खुली सोच से ही खुले में शौच की आदत को मात दी जा सकती है। विश्व शौचालय दिवस पर इस वर्ष का थीम ‘सस्टेनेबल सैनिटेशन एंड क्लाइमेट चेंज’  यानी स्वच्छता और जलवायु परिवर्तन है।

गुरुवार को कलेक्ट्रेट स्थित सृजन सभाकक्ष में डीएम भीम सिंह (आईएएस) ने स्वच्छता सर्वे पर बैठक ली जिसमें उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा, ओडीएफ फ्री होने के बाद भी जिले के लोग अभी भी खुले में शौच करते हैं। यह चिंताजनक है उन्हें जागरूक करने की जरूरत है।

निगम आयुक्त आशुतोष पाण्डेय ने बताया, 35 लाख रूपये की मदद से कई सार्वजनिक शौचालयों की मरम्मत की जाएगी और यह तय किया जाएगा कि कोई भी व्यक्ति खुले में शौच न करें।

खुले में शौच से जल की गुणवत्ता ख़राब हो जाती है और यह पीने के लायक नहीं रहता है । इससे जल जनित बीमारियां होने की संभावनाएं ज्यादा होती हैं। जल की गुणवत्ता में एक खास पहलू है कि इसमें मल की मौजूदगी नहीं होनी चाहिए। इसलिए जब पेयजल की बैक्टीरियोलॉजिकल जांच की जाती है तो उसमें सबसे पहला उद्देश्य मल प्रदूषण की उपस्थिति की जांच करना होता है। एक खास तरह के बैक्टीरिया की मानव मल के जल में उपस्थिति की जांच की जाती है। एक खास तरह की बैक्टीरिया मानव मल के जल में उपस्थिति का संकेत देती है, जिसे ई-कोलाई कहते हैं। यूनिसेफ के अनुसार एक ग्राम मल में 1 करोड़ वायरस, एक लाख बैक्टीरिया और एक हजार परजीवी सिस्ट पाए जाते हैं।

विश्व शौचालय दिवस वैश्विक स्वच्छता संकट से निपटने हेतु प्रेरित करने वाला एक महत्वपूर्ण दिवस है। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य विश्व में सभी लोगों को 2030 तक शौचालय की सुविधा उपलब्ध करवाना है। यह संयुक्त राष्ट्र के छह सतत विकास लक्ष्यों का हिस्सा है। सबको शुद्ध पेयजल और स्वच्छता की सुविधा उलब्ध कराने का लक्ष्य भी संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों में रखा गया है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार 4.2 अरब आबादी को आज भी ठीक से शौचालय उपलब्ध नहीं है और वह गंदगी में रहने को मजबूर है। 67.3 करोड़ आबादी खुले में शौच करने को मजबूर है।

शौचालय के इस्तेमाल से जीवन रहता है सुरक्षित : आयुक्त

नगर निगम आयुक्त आशुतोष पाण्डेय कहते बताते हैं, वर्ष 2001 में इस दिवस को मनाने की शुरुआत विश्व शौचालय संगठन द्वारा की गई थी। वर्ष 2013 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा इसे अधिकारिक तौर पर विश्व शौचालय दिवस घोषित कर दिया गया था। शौचालय का इस्तेमाल से हमारा जीवन सुरक्षित रहता है। शौचालय का इस्तेमाल करने से विभिन्न बीमारियों के प्रसार को रोकने में मदद मिलती है। इसके लिए चौक-चौराहों पर सार्वजनिक शौचालय बनाए गए हैं और नए बनाए भी जा रहे हैं। खुले में शौच को किसी भी तरह से बढ़ावा देने वालों को रोकना है। जिन जगहों पर लोग खुले में शौच करते हैं उन्हें चिन्हांकित किया गया है और टीम बनाकर इनकी निगरानी की जा रही है।

ओडीएफ डबल प्लस है रायगढ़ शहर

नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग के जिला समन्वयक प्रहलाद तिवारी बताते हैं, रायगढ़ शहर ओडीएफ डबल प्लस जिला है यानी सभी 26 सार्वजनिक शौचालय बेहतर तरीके से चल रहे हैं। यहां मिलने वाली सुविधाएं बेहतर और यहां का रखरखाव भी मापदंड के अनुरूप है। नियमानुसार इनमें से 25 फीसदी शौचालयों यानी 6 में गीजर, ड्रायर, चाइल्ड शीट इत्यादि जैसी अत्याधुनिक सुविधाएं मौजूद हैं। प्रहलाद आगे कहते हैं, 2015 के बाद से अब तक शहर में 10,631 ओडीएफ के तहत निजी शौचालय बनाने के आवेदन आए थे जिनमें 6,704 का आवेदन सही पाया गया और 6,703 शौचायलों को बनाने की स्वीकृति दे दी गई है।

एक सुविधा केंद्र बनाना लक्ष्य कमल पटेल

शहर सरकार के स्वास्थ्य मंत्री कमल पटेल कहते हैं, खुले में शौच को रोकना हमारी प्राथमिकता है। खुले में शौच को रोकने लिए हमने कार्ययोजना तैयार कर ली है। रायगढ़ के चौक-चौराहों पर सार्वजनिक शौचालय हैं। शहर में कम-से-कम एक सुविधा केंद्र यानी स्त्री-पुरूष दोनों के लिए सर्वसुविधा युक्त सार्वजनिक शौचालय जिसमें प्रसाधन की सुविधा चौबीसों घंटे सातो दिन हो।

 

कोरोना काल में इन उचित व्यवहारों का करें पालन

– एल्कोहल आधारित सैनिटाइजर का प्रयोग करें

– सार्वजनिक जगहों पर हमेशा फेस कवर या मास्क पहनें

– अपने हाथ को साबुन व पानी से लगातार धोएं

– आंख, नाक और मुंह को छूने से बचें

– छींकते या खांसते वक्त मुंह को रूमाल से ढकें


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