गरियाबंद 23 अक्टूबर 2019। प्रदेश में स्थानीय अधिकारी शिक्षकों को किस प्रकार से परेशान करते हैं इसकी यदि बानगी देखनी हो तो गरियाबंद जिले के छुरा ब्लॉक में देखी जा सकती है जहां बीते 4 महीने से वेतन न मिलने से परेशान शिक्षको ने अंत में नाराज होकर सड़क पर उतरने का रास्ता अपनाया। कल जहां शिक्षकों ने प्रदर्शन किया था वहीं आज शिक्षक भूख हड़ताल पर बैठ गए थे जिसके बाद आनन-फानन में शिक्षकों के खाते में वेतन का हस्तांतरण कर दिया गया है लेकिन सबसे बड़ा प्रश्न फिर से वही है कि आखिर जब 2 दिनों के भीतर वेतन का भुगतान हो सकता था तो उन्हें जानबूझकर 4 महीने तक परेशान क्यों किया गया । प्रदेश में जिन शिक्षाकर्मियों का संविलियन जुलाई 2019 में हुआ है उनमें से बहुत से शिक्षाकर्मियों को अलग-अलग जिले के कई ब्लॉक में वेतन का भुगतान नहीं किया गया है और अधिकांश ब्लॉक में इसके पीछे की वजह प्रान लिंकिंग न होना बताया गया है ऐसे ही वजह बताकर गरियाबंद छुरा ब्लाक में भी इस बार संविलियन होने वाले 98 शिक्षकों को वेतन का भुगतान नहीं किया गया था जिसके बाद शिक्षकों ने विभाग के अधिकारियों को कई बार अल्टीमेटम दिया और अंत में मजबूर होकर सड़क पर उतर गए जिसके बाद आज ले देकर उनके वेतन का भुगतान हुआ है ।
इस मुद्दे पर शिक्षाकर्मी नेता विवेक दुबे का कहना है कि
2 दिनों में वेतन भुगतान होने से शिक्षाकर्मियों को राहत तो मिली है लेकिन इससे यह भी साफ होता है की वेतन भुगतान में ऐसी कोई भी तकनीकी समस्या नहीं थी जिसे सुलझाया न जा सके और स्थानीय अधिकारियों ने जानबूझकर समस्या को जटिल बनाया हुआ था जिसके चलते मजबूरन शिक्षक हड़ताल पर उतरने को मजबूर हुए । इस बार तो गरियाबंद के छुरा ब्लाक के शिक्षकों को राहत मिल गई है लेकिन जरूरत है इस बात की कि ऐसे स्थानीय अधिकारियों पर जरूर नकेल कसी जाए जो जानबूझकर समस्या को जटिल बताते हुए शिक्षकों का वेतन रोक देते हैं या फिर उन्हें अन्य तरीके से परेशान करते हैं ।