बच्चों को नहीं रखा जाएगा उनके गृह जिलों में, ताकि हो सके फिजिकल डिस्टेंसिंग का पालन, सबसे ज्यादा बच्चे बिलासपुर संभाग के उन्हें लेने भेजी गईं 28 बस, कुल 95 बस में लौट रहे बच्चे
रायपुर. राजस्थान के कोटा शहर से छत्तीसगढ़ के बच्चों को लाया जा रहा है। 97 में से कुछ बस रवाना हो चुकी हैं तो कुछ आज देर रात तक रवाना हो जाएंगी। यह बच्चे मेडिकल और इंजीनियरिंग की तैयारी के कोटा गए हुए थे। यहां के नामी कोचिंग सेंटर्स में यह बच्चे पढ़ रहे थे। लॉकडाउन की वजह से वहीं थे, कोटा में कोरोना संक्रमण के मामले 140 की संख्या पार कर चुके हैं। इस बीमारी के डर की वजह से बच्चे लगातार छत्तीसगढ़ वापस लाए जाने की मांग सोशल मीडिया के जरिए कर रहे थे। कुछ दिन पहले मध्यप्रदेश और यूपी की सरकारें भी अपने राज्य के बच्चों को वापस ला चुकी है।
लौटने के बाद बच्चों को उनके शहरों में नहीं रखा जाएगा। प्रशासन की तरफ से बनाए गए क्वारैंटाइन सेंटर में उन्हें ले जाया जाएगा। इन बच्चों को दूसरे जिलों में 14 दिनों तक निगरानी में रहना होगा। यह इस वजह से ताकि उनमें यदि कोरोना का संक्रमण हो तो वह उनके परिजनों में न फैले। अफसरों ने यह भी बताया कि बच्चों को उन्हीं के जिलों में रखने से माता-पिता उनसे मिलने की कोशिश करेंगे, इसलिए एहतियात के तौर पर यह कदम उठाया जा रहा है।
गूंजा छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया
बस जैसी ही कोटा में फंसे बच्चों तक पहुंची। अपने राज्य की पुलिस और अफसरों को देखकर बच्चों ने छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया का नारा लगाया। पिछले कई दिनों से उनके चेहरों पर छाई उदासी दूर हो गई। राज्य के छात्र-छात्राओं को लाने कुल 97 बसों को रवाना किया गया। इसमें 95 बस छात्रों को लाने के लिए और 2 बसों में डॉक्टर और चिकित्सा दल के सदस्य गए हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि छात्र-छात्राओं के लिए भोजन सहित आवश्यक व्यवस्थाओं का भी ध्यान रखा गया है। बस्तर संभाग के लिए 6, सरगुजा संभाग के लिए 24, रायपुर संभाग के लिए 16, दुर्ग संभाग के लिए 14, बिलासपुर संभाग के बच्चों के लिए 28 बसें भेजी गई हैं।
क्वारैंटाइन सेंटर में सुविधाएं
कबीरधाम जिले के बोड़ला में रायपुर और महासमुंद के 259 स्टूडेंट्स को रखा जाएगा। 14 दिन बाद ही वे अपने घर जा सकेंगे । 159 स्टूडेंट्स को बोड़ला के कस्तूरबा आवासीय विद्यालय में रखा जाएगा। करीब 100 स्टूडेंट्स को धवईपानी (चिल्फी) में रखा जाएगा। हॉस्टल के कमरों में 1- 1 मीटर की दूरी पर बेड होंगे ताकि बच्चों के बीच दूरी बनी रहे। स्टूडेंट्स की दैनिक जरुरत की सामग्रियों के पैकेट्स तैयार किए गए हैं। असुविधा न हों, इसके लिए सभी कमरों में कूलर व पंखे लगाए गए हैं । भोजन व्यवस्था के लिए अलग से महिला समूह को जिम्मेदारी दी गई है। छात्राओं के लिए अलग शौचालयों की व्यवस्था भी की गई है।