सोमपुरा परिवार की ओर से निर्मित गांधीनगर के कोबा में बने गुरुमंदिर जैनतीर्थ में भगवान महावीर की मूर्ति के ललाट पर प्रतिवर्ष 22 मई को दोपहर दो बजकर सात मिनट पर सूर्य तिलक होता है। जैन संत कैलाशसागर सूरीश्वर का 22 मई को दोपहर दो बजकर सात मिनट पर कालधर्म हुआ था, इसलिए पदम सागर सूरीश्वर महाराज ने इस समय को सूर्यतिलक के लिए चुना। वर्ष 1987 से प्रतिवर्ष इस दिन सूर्यतिलक होता है। सूर्यकिरण जिनालय के शिखर से पार करते हुए भगवान महावीर के ललाट पर आकर सूर्यतिलक करती है।
जानें, कैसे लगता है सूर्य तिलक
अहमदाबाद के समरणगणाम आर्किटेक्ट के आशीष सोमपुरा बताते हैं कि मंदिर के शिखर से एक पाइप के जरिए सूर्यकिरण को गर्भ गृह में मौजूद भगवान की मूर्ति तक लाया जाता है। यही सूर्यकिरण मूर्ति के ललाट पर सूर्य तिलक लगाती है या चरणों तक पहुंचती हैं। सोमपुरा बताते हैं कि सूर्य लगातार चलता रहता है, इसलिए प्रतिदिन यह संभव नहीं है। सूर्य की गति व मार्ग की गणना कर विशेष दिन पर सूर्यतिलक का तय किया जाता है।