रायपुर. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने केंद्रीय इस्पात मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को पत्र लिखा गया है। मुख्यमंत्री बघेेल ने इस पत्र के माध्यम से लौह अयस्क के दामों में की गई वृद्धि को वापस लेने की मांग रखी है। ये वृद्धि जनवरी 2020 में की गई थी। साथ ही अाग्रह किया है कि छत्तीसगढ़ के लौह खनिज आधारित लघु उद्योगों और स्पंज आयरन उद्योगों को दीर्घकालिक रियायती दर पर लौह अयस्क उपलब्ध कराया जाए। लौह अयस्क के दाम बढ़ाए जाने से प्रदेश के स्पंज आयरन और स्टील उद्योग कठिनाई में हैं।
केंद्रीय मंत्री को बुधवार को राज्य सरकार की ओर से भेजे गए पत्र में मुख्यमंत्री बघेल ने लिखा, छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में लौह अयस्क की खदानें एनएमडीसी संचालित करता है। इन खदानों में से 4 काे 20 वर्ष की अवधि के लिए शर्तों के साथ दिया गया है। शर्तों में कहा गया है कि यहां से राज्य के इस्पात उद्योगों को उनकी जरूरत के अनुरसार लौह अयस्क की निरंतर आपूर्ति की जाएगी। एनएमडीसी के मूल्य में वृद्धि किए जाने के कारण उद्योगों के संचालन में दिक्कत आ रही है। इससे राज्य में इस्पात का उत्पादन प्रभावित हुआ है।
एनएमडीसी ने लौह आयस्क के दामों का 470 रुपए प्रति टन बढ़ाया
मुख्यमंत्री बघेल ने कहा, स्पंज आयरन एसोसिएशन के माध्यम से यह पता चला है कि एनएमडीसी की ओर से खनिज आयरन ओर लंप के मूल्य में 470 रुपए प्रतिटन की वृद्धि की गई है। इससे बेसिक मूल्य 700 रुपए बढ़ गया है। इस पर रॉयल्टी और अन्य टैक्स को मिला दें तो कीमत बढ़कर 875 रुपए प्रतिटन हो गई है। इसके कारण उत्पादित इस्पात का मूल्य 2000 रुपए प्रतिटन पहुंच गया। लॉकडाउन से प्रभावित राज्य के उद्योगों में रियायती दर पर लौह अयस्क की आपूर्ति नहीं होने के कारण इनके बंद होने की नौबत आ गई है। इसके कारण बेरोजगारी और पलायन की स्थिति भी बनी है।