बढ़ते कोविड संक्रमण के बीच गर्भवती-शिशुवती महिलाओं और बच्चों का रखें विशेष ख्याल.. पालकों से बच्चों में संक्रमण फैलने की ज्यादा संभावना.. गर्भवती और पात्र बच्चों को लगवाएं कोविड का टीका

रायगढ़। जिला कोविड संक्रमण के तीसरी लहर के मुहाने पर खड़ा है। जिला प्रशासन ने इससे बचने के लिए सभी ऐहतियाती कदम उठा रखे हैं फिर भी लोगों को ही कोविड से खुद सुरक्षा करनी होगी। इसके लिए कोविड अनुरूप व्यवहार को अमल में लाकर संक्रमण के खतरे को टाला जा सकता है। जिले में शत प्रतिशत लोगों को कोविड टीके के दोनों डोज लग चुके हैं और 15 से 18 आयु वर्ग के किशोरों का टीकाकरण किया जा रहा है।

वर्तमान समय में खासकर बच्चों और गर्भवती महिलाओं को इस संक्रमण से बचकर रहना है। मेडिकल कॉलेज रायगढ़ के डॉक्टरों की मानें तो कोविड संक्रमण का खतरा गर्भवती महिलाओं के लिए आखिरी के तीन महीने में अधिक रहता है खासकर 9वें महीने में। इस समय इनकी विशेष देखरेख की आवश्यकता है। सबसे महत्वपूर्ण बात गर्भवती के कोविड संक्रमित हो जाने पर परिजनों को उसका साथ और उसकी हौसलाआफजाई करना चाहिए ताकि वह किसी भी प्रकार के अनावश्यक तनाव में न रहें।

मेडिकल कॉलेज के स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. बिस्मय षडंगी बताते हैं कि आमतौर पर देखा गया है कोविड का टीका गर्भवती महिलाएं लगवाने में हिचकिचाती हैं जबकि गर्भवती महिलाओं के लिए यह टीका एकदम सुरक्षित है जिससे मां ही नहीं बच्चा भी आने वाली गंभीर समस्याओं से सुरक्षित रहता है। “गर्भवती महिलाओं को कोविड का टीका लगवाने के लिए हमें प्रोत्साहित करना चाहिए। संक्रमित प्रसूता को अपने नवजात को खुद का दूध पिलाना चाहिए यह नवजात की इम्युनिटी को बढ़ाता जिसकी उससे सबसे ज्यादा जरूरत होती है।‘’

इसी तरह शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. ताराचंद पटेल कहते हैं “कोविड की पहली और दूसरी लहर(बीटा और डेल्टा वेरियंट) में ऐसा देखा गया है कि मां-पिता संक्रमित हो रहे थे पर बच्चों का टेस्ट नहीं करवा रहे थे। ऐसे बच्चों में बुखार आता है जो एक दो दिन में ठीक हो जाता है। इन बच्चों में वायरस तो अंदर है और वह प्रतिक्रिया कर रहा है जिसे हम मल्टी सिस्टम इनफैंट्री सिंड्रोम इन चाइल्ड (एमआईएससी) कहते हैं| ऐसे केसेस के साथ बच्चे राज्य में देखे गए थे। यह ऐसे बच्चे हैं जो कोरोना टेस्ट से छूट गए थे या इनका जांच नहीं हो पाई थी लेकिन इनमें कोरोना वायरस था। बच्चों को अभी भी बचाया जा सकता है क्योंकि वह घर में ही है और उन तक संक्रमण न पहुंचे इसकी जिम्मेदारी घर के बड़ों की है। बच्चों में भी अगर लक्षण दिखें तो तुरंत कोविड की जाँच कराएं।“

पालक सुरक्षित तो बच्चे सुरक्षित :डॉ. लक्ष्मणेश्वर सोनी
मेडिकल कॉलेज के शिशु रोग विभाग के अस्सिटेंट प्रोफेसर डॉ. लक्ष्मणेश्वर सोनी ने बताते हैं “ 15-18 साल के बच्चों को लोग जरूर कोविड का टीका लगवाएं। इससे हम बच्चों की एक बड़ी आबादी को कोरोना के किसी भी वैरियंट से सुरक्षित रख सकते हैं। मौसम ठंड का है तो बच्चों को ठंड से बचाएं। जो बहुत छोटे बच्चे हैं उनके शरीर के अंग ढककर रखें। मौसमी बीमारियां हो तो इसका घरेलू उपचार न करें। शिशु रोग विशेषज्ञ या फिर अन्य डॉक्टर से चिकित्सीय परामर्श जरूर लें। साथ ही पालकों को अपना पहले ख्याल रखना होगा। बच्चों के लिए पालक ही कोविड संक्रमण का स्त्रोत है क्योंकि अभी फिर से स्कूल और खेल के मैदान के बंद हो गए हैं जिससे बच्चे घर में ही हैं। जो आने-जाने वाले हैं वह पालक ही है। उनके साथ ही संक्रमण आता है। पालक सैनेटाइजर, हैंडवाश, सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क का इस्तेमाल करें। देखने में आया है कि बच्चों में साइटोकाइन स्टॉर्म यानी बड़ी बीमारी उनकी इम्युनिटी (इम्युनो मॉडुलेशन) की वजह से बच जा रहे हैं। यह बच्चों को ज्यादा प्रभावित नहीं कर रही है। अभी यही उम्मीद करेंगे कि आगे भी स्थिति ऐसी बनी रहे”।

गर्भवती महिलाएं खान-पान और इम्युनिटी पर दें ध्यान : डॉ. बिस्मय षड़ंगी
मेडिकल कॉलेज के स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. बिस्मय षड़ंगी कहते हैं “बीते साल कोविड के डेल्टा वैरियंट ने बच्चों को ज्यादा चपेट में नहीं लिया था। गर्भवती महिलाएं इस वेरियंट से प्रभावित हुईं और इसके परिणाम भी सामने आए, खैर वह तब की बात है। फिलहाल ओमिक्रॉन वेरियंट जिसे यह माना जा रहा है कि यह प्राणघातक कम है और इसका प्रसार बहुत तेजी होता है। हमें किसी भी हाल में इस थ्योरी में नहीं जाना है। कोविड संक्रमण एक संक्रमण है इसे हल्के में लेना जानलेवा साबित हो सकता है। गर्भवती महिलाओं के बारे में ओमिक्रॉन वैरियंट का क्या प्रभाव होगा इसको लेकर किसी के पास कोई थ्योरी नहीं।

गर्भवती महिलाएं फिलहाल अनावश्यक घर से बाहर न निकलें। सोनोग्राफी जब जरूरत हो और डॉक्टरी सलाह पर ही कराएं। गर्भवती महिलाएं अपने खान-पान का विशेष ख्याल रखें। इससे इम्युनिटी बढ़ती है और यही बढ़ी इम्युनिटी संक्रमण को रोकती है। ठंड के मौसम में सर्दी-जुकाम को आम बीमारी न समझें थोड़ा सी ज्यादा परेशानी हो तो इसे टाले नहीं तुरंत कोविड टेस्ट कराएं और अपने चिकित्सक से परामर्श जरूर लें। खुद को भीड़ से अलग रखें और मेलजोल फिलहाल कम रखें। गर्भवती महिला यह सुनिश्चित करे कि उसका प्रसव संस्थागत हो न कि घरेलू। प्रसव पीड़ा होने या दिन पूरा होने पर गर्भवती को नजदीकी अस्पताल में ले जाएं।“


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