बिलासपुर,13 दिसंबर 2019। बहुचर्चित तोरवा गैंगरेप मामले में बिलासपुर कोर्ट ने मामले के चारों आरोपियों को दोषी मानते हुए तीस साल क़ैद की सजा दी है। तोरवा थाने में वर्ष 2017 में गैंगरेप की घटना की रिपोर्ट दर्ज हुई थी।
तोरवा थाने में तेरह वर्षीया बालिका यह रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि, 2015 से उसे डरा धमका कर उसके साथ समीपस्थ शराब भट्टी में कार्यरत चार लोग लगातार अनाचार करते रहे हैं, आरोपियों ने उसकी धोखे से अश्लील वीडियो भी बनाई थी जिसे वे सार्वजनिक करने की धमकी देते थे। पीड़िता के साथ जब यह घटना पहली बार हुई तब वो दस वर्ष की थी।
घटना की रिपोर्ट 20 फ़रवरी 2017 को दर्ज की गई थी, तोरवा थाने में आरोपियों के ख़िलाफ़ धारा 376 (घ) और पाक्सो एक्ट के तहत अपराध दर्ज किया गया था। दो आरोपियों चरण सिंह चौहान और ईश्वर ध्रुव की गिरफ़्तारी 24 घंटे के भीतर हो गई थी, जबकि एक अन्य फेंकू उर्फ नागेश्वर रजक की गिरफ़्तारी 23 फ़रवरी को हुई थी, इस पूरे प्रकरण के प्रमुख आरोपी की गिरफ़्तारी में पुलिस को क़रीब एक महिने का समय लगा, और मनोज वाडेकर की गिरफ़्तारी 22 मार्च को हुई ।
बिलासपुर के एडीजे तृतीय संजीव तामक ने मामले में देर शाम फ़ैसला देते हुए सभी आरोपियों को दोषी करार दिया और सभी चारों आरोपियों को तीस वर्ष कारावास की सजा दी है।