राजधानी में बढ़ी वसीयतनामा बनवाने वालों की संख्या, पहले बनते थे 4-5, दो माह से रोजाना 80-100

रायपुर. राजधानी में जैसे-जैसे कोरोना के मरीज बढ़ रहे हैं, कई नए ट्रेंड शुरू हुए हैं। इनमें एक है वसीयतनामा बनवाने का चलन। कोरोना काल से पहले रजिस्ट्री दफ्तर में एक दिन में औसतन 5 वसीयतनामे रजिस्टर्ड हो रहे थे। पिछले दो महीने से यह औसत बढ़कर 15 हो गया है। यह आंकड़े रजिस्ट्री दफ्तर के हैं, लेकिन ऐसे लोगों की संख्या ज्यादा है जो वकीलों के पास जाकर वसीयत बनवा रहे हैं और उसे रजिस्टर्ड करने के बजाय नोटराइज्ड करवा रहे हैं। वकीलों का दावा है कि ऐसे रोज 80 से 100 दस्तावेज बन रहे हैं। अभी कोर्ट बंद है, इसके बावजूद वकीलों के पास वसीयतनामा बनवाने वाले लगातार पहुंच रहे हैं। अभी अदालतें बंद हैं, लेकिन नोटरी और वेंडर काम कर रहे हैं। दैनिक भास्कर ने कई नोटरियों से बीत की तो उन्होंने बताया कि वे हर दिन वसीयतनामा नोटराइज्ड कर रहे हैं।
अप्रैल से अभी तक वसीयतनामा बनवाने वाले लोगों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। ऐसा कोरोना की वजह से ही हुआ है। भास्कर से कुछ वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने कहा कि वे खुद हैरान हैं, रोजाना बड़ी संख्या में लोग यही पूछने आ रहे हैं कि वसीयतनामा कैसे बनेगा और किस तरह रजिस्टर्ड होगा?
माता-पिता बना रहे वसीयत : वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने बताया कि अभी माता-पिता का फोकस वसीयतनामे पर ज्यादा हैं। ये वसीयतें संपत्ति के बंटवारे पर ही फोकस हैं। लोग कहने लगे हैं कि कोरोना का खतरा जिस तरह बढ़ रहा है, ऐसे में प्रापर्टी की वसीयत करवा देना ही बेहतर है, ताकि बच्चों के बीच भविष्य में किसी भी तरह का विवाद न हो। जीवित रहते हुए कई तरह की सहमति बनाई जा सकती है, लेकिन बाद में नहीं इसलिए वसीयत कर देना ही बेहतर है।

वकील, सादा कागज व गवाह
किसी भी परिवार का वसीयतनामा आसानी से बन सकता है। एक सादे कागज में परिवार का मुखिया 2 गवाहों की मौजूदगी में अपनी संपत्ति के बंटवारे का सिस्टम दर्ज करवा सकता है। वकील इसे कोर्ट में पुख्ता करने लिए नोटराइज्ड या रजिस्टर्ड करवाने की सलाह देते हैं। कोरोना में सबसे ज्यादा नोटराइज्ड वसीयतनामे ही बने हैं। लोगों ने 100, 500 और 1000 रुपए के स्टांप पेपर में इन्हें बनवाया है।
खर्च 500 रुपए से भी कम : वसीयतनामा बनवाने के लिए खर्चा बेहद कम होता है। जिसको वसीयतनामा करना है वो सादे कागज या फिर स्टांप पेपर खरीद सकता है। इसके लिए नोटराइज्ड की फीस देनी होती है। इसमें फीस वगैरह मिलाकर 500 का भी खर्चा नहीं होता है। इसी तरह सादे कागज में बने वसीयतनामा को रजिस्टर्ड करवाने के लिए केवल 200 रुपए का शुल्क लगता है। खर्चा कम होने की वजह से भी लोग बड़ी संख्या में वसीयतनामा बनवा रहे हैं।
“पहले ज्यादातर लोग उम्रदराज होने के बाद ही इस बारे में सोचते थे। लेकिन नया बदलाव ये है कि लोग रिटायर होने से पहले ही वसीयतनामा बनवा रहे हैं।”
-आशीष सोनी, अध्यक्ष रायपुर बार 
“वसीयतनामा बनवाने और उसकी प्रक्रिया जानने बड़ी संख्या में लोग वकीलों से संपर्क कर रहे हैं। पता चला है कि अधिकांश वकील महीने में दो-दो सौ दस्तावेज बनवा चुके हैं।”
-हितेंद्र तिवारी, पूर्व सचिव-स्टेट बार

हर दिन औसतन 15 वसीयतनामे
“कोरोना से पहले एक दिन में 3 से 5 वसीयतनामे रजिस्टर्ड होने आते थे। जब से रजिस्ट्री दफ्तर खुले हैं, हर दिन औसतन 15 वसीयतनामे रजिस्टर्ड हो रहे हैं।”
-आरएल साहू, वरिष्ठ उप-पंजीयक


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