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जिले के बरमकेला वन परिक्षेत्र के चांटीपाली गांव में आते हैं दो मोर, लकड़ी काटने जंगल गया ग्रामीण साथ लेकर आया था
रायगढ़. जिले के एक गांव में मोर आते हैं। इनकी मौजूदगी ग्रामीणों को पसंद तो आती है। मगर यह राष्ट्रीय पक्षी के लिए खतरनाक भी है। अक्सर देखा गया है कि लोग मोरपंख हासिल करने के लिए मोर को नुकसान पहुंचाते हैं। गांव में दो मोर आते हैं। खूबसूरत रंग और पंखों की वजह से लोगों की निगाहें इन पर अटक जाती हैं। बुधवार को मोर की गांव में मौजूदगी की जानकारी वन विभाग को भी लगी, यह भी पता चला कि चुपके से किसी ग्रामीण ने इन मोरों को घर में रखकर पाला और कुछ दिन बाद छोड़ दिया। मोर पालतू पक्षी नहीं है, राष्ट्रीय पक्षी होने की वजह ऐसा करने वाले के खिलाफ कार्रवाई का नियम है।
यह मामला जिले के बरमकेला इलाके के चांटीपाली गांव का है। मोर को पालने की चर्चा दिनभर चली। शाम होते-होते वन विभाग के अफसर यह पता लगाने में कामयाब रहे कि मोर कौन लेकर गांव में आया था। जानकारी मिली कि सुखदेव सिदार नाम का ग्रामीण जंगल से मोर लाया था। वह लकड़ी काटने का काम करता है। अब मोरों को इस गांव की आदत हो गई है, तो वह उड़कर यहां पहुंच जाते हैं। वन विभाग के अफसर इन मोरों को पकड़कर सारंगढ़ के अभ्यारण गोमर्डा में छोड़ने का प्लान बना रहे है। ग्रामीण के खिलाफ भी वन अधिनियम के तहत कार्रवाई की जा सकती है।