रायगढ़। जाति प्रमाण पत्र निर्माण के संबंध में जिले के राजस्व अधिकारियों की कार्यशाला कलेक्टे्रट सभाकक्ष में आयोजित हुई। विषय विशेषज्ञ आदिम जाति अनुसंधान संस्थान के पूर्व उपसंचालक श्री टी.एम.झा के द्वारा अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया गया। श्री झा ने जाति प्रमाण पत्र निर्माण तथा सत्यापन की प्रक्रिया तथा राजस्व अधिकारियों की इस संबंध में भूमिका के बारे में विस्तार से जानकारी दी और बताया कि एक राजस्व अधिकारी दूसरे जिले के रिकॉर्ड पर आधारित आवेदन पर जाति प्रमाण पत्र नही बना सकता है और जाति प्रमाण-पत्र के सत्यापन के अनिवार्यता महत्वपूर्ण होती है। उन्होंने प्रक्रिया के दौरान आने वाली व्यवहारिक दिक्कतों को केस स्टडी तथा उदाहरणों का उल्लेख करते हुए उसके निदान भी बताये।
कार्यशाला में आगे राजस्व अधिकारियों को जमीनी स्तर पर आने वाली समस्याओं पर भी समाधानपरक चर्चा की गई। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं पिछड़ा वर्ग के ऐसे व्यक्ति या परिवारों की पहचान कैसे करें जिसके जाति के संबंध में लोक अथवा निजी साक्ष्य उपलब्ध नहीं हो। ग्राम सभा के माध्यम से जारी होने वाले प्रमाण पत्र के प्रमाणीकरण के दौरान बरती जाने वाली सावधानियां, क्रीमी लेयर का निर्धारण, माइग्रेट होकर आए व्यक्ति के जाति प्रमाण पत्र निर्माण हेतु प्रावधान, जिला स्तरीय छानबीन समिति की संरचना, प्रमाण-पत्र का राज्य स्तरीय उच्च स्तरीय छानबीन समिति द्वारा सत्यापन आदि मुद्दों पर भी कार्यशाला में प्रशिक्षण दिया गया। शासन द्वारा निर्धारित प्रारूप में वांछित जानकारी का संकलन तथा समय-समय पर सर्कुलर के माध्यम से जारी किए गए निर्देश व प्रावधान को विस्तार से बताया गया। जाति प्रमाणीकरण के संबंध में परिषद द्वारा अपनायी जाने वाली प्रक्रिया की जानकारी दी गयी तथा यह बताया गया कि उच्च स्तरीय छानबीन समिति को ही जाति प्रमाण-पत्र निरस्तीकरण के अधिकार प्राप्त है।
कार्यशाला में सहायक आयुक्त आदिवासी विकास श्री जितेन्द्र गुप्ता, एसडीएम रायगढ़ श्री आशीष देवांगन, एसडीएम लैलूंगा श्री अभिषेक गुप्ता, एसडीएम धरमजयगढ़ श्री नंदकुमार चौबे, एसडीएम खरसिया श्री गिरीश रामटेके सहित जिले के समस्त तहसीलदार, राजस्व तथा आदिवासी विकास विभाग के अधिकारी- कर्मचारी उपस्थित रहे।
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