रायगढ़ 16 फरवरी 2022. कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर में पहले के मुकाबले अधिक लोग अधिक संक्रमित हुए पर कड़ाई पिछले दफे जैसी नहीं थी। फिर भी संक्रमण के मद्देनजर लोग एहतियात बरत रहे थे और ऐसे में उन तक नि:शुल्क दवा-खाना पहुंचाने का काम कार्डिनल चार्जर्स के रोटी बैंक और इसके वॉलिंटियर्स ने किया। कोरोना संक्रमण की रफ़्तार कम होने के बाद भी रोटी बैंक का काम सतत जारी है और औसतन 400-450 लोगों को भोजन और इनमें से कइयों को कपड़े और दवाईयां भी संगठन द्वारा पहुँचाई जा रही है
रोटी बैंक वॉलंटियर्स के नंबर लोगों के पास सेव हैं | अब उनके पास बचे खाने को जरूरतमंदो में बांटने के लिए करीब-करीब रोज फोन आते हैं।
वॉलंटियर्स भी ऐसे ज़रूरतमंदों लोगों की सहायता के लिए के लिए तत्काल मौजूद हो जाते हैं।
रोटी बैंक कहता हैं कि इतना लो थाली में कि व्यर्थ न जाए नाली में। यह नारा शहरवासियों की जुबां पर चढ़ चुका है |
शहर के मोहन यादव बताते हैं कि उनकी माता की तेरहवीं थी कई लोगों को खाने पर बुलाया था लेकिन रोटी बैंक के लिए 100 लोगों का खाना अलग से बनवाया था |“क्योंकि यह खाना उन लोगों को मिलता जिन्हें सही में खाने की जरूरत थी। मुझे बड़ा सुकून मिला। हम खाना दे सकते हैं पर रोटी बैंक उसे सही लोगों तक पहुंचाता है।”
विदित हो कि यह वही कार्डिनल चार्जर्स है जो कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के बीच अपनी जान जोखिम में डालकर लोगों की नि:स्वार्थ भाव से सेवा कर रही थी। खुद के खर्चे पर कोई भूखा न रहे मुहिम शुरू की, बाद में लोग जुड़ते गए और 52 दिन इन लोगों ने हर दिन 400 से अधिक लोगों को उन तक खाना पहुंचा कर दिया। कोरोना संक्रमण से बचाव के सारे एहतियात बरतते हुए इसके वॉलंटियर्स ने दोनों ही लहर में समाज सेवा की अनूठी मिसाल पेश की है। यही कारण है कि सेवा के दौरान कोई भी वॉलिंटियर पॉजिटिव नहीं आया।
रोटी बैंक से स्वास्थ्य की अलख
कार्डिनल चार्जर्स के सदस्य यश पटेल का कहना है, “लॉकडाउन में सबकुछ बंद था तो अस्पताल में भर्ती मरीज और उनके तिमारदार व अन्य वंचित तबकों के लोगों में से कोई इसलिए हमनें मुहिम शुरू की थी। इस शुरुआत को लोगों का भरपूर समर्थन मिला और हमारा हौसला बढ़ा |लोग हमसे जुड़ते गए। लॉकडाउन खत्म हुआ और जिंदगी फिर से पटरी पर आ गई। लेकिन अभी भी कई ऐसे लोग हैं जो किसी न किसी कारणवश रात में भूखे सोते हैं तो ऐसे लोगों तक एक समय का भरपेट भोजन उन तक मुहैया करना ही रोटी बैंक है। हमने लोगों से अपील की है कि आपके यहां कोई आयोजन हो और यदि खाना बच जाए तो हमें सूचित करें हम इसी बचे खाने को लोगों में वितरित करते हैं। लोग हमारा साथ दे रहे हैं और हमारी कोशिश रहती है कि हम हर दिन लोगों तक पहुंचे। अब लोग जन्मदिन-पुण्यतिथि-तेरहवी में विशेषरूप से हमारे लिए खाना बनवाते हैं और हमें बांटने के लिए देते हैं। “
“रोटी बैंक खाना तक ही सीमित नहीं है जरूरतमंद लोगों में कपड़ा-चादर-कंबल के साथ दवा भी बांटती है। कपड़ा लोगों का ही इस्तेमाल किया पर अच्छी हालत में रहता है। दवा भी ऐसी कि जिसे जैसी जरूरत होती है, हम डॉक्टरी सलाह से उसे देते हैं। उसके इलाज में सहायता करते हैं अधिकतर मामले में हम उन्हें जिला अस्तपाल में भर्ती कराते हैं। हमारा काम खाना बांटना है पर उन्हें खाना दे-देकर एक आत्मीय संबंध बन गया है और अब वह लोग हमसे अपनी बात साझा करते हैं। अच्छी बात यह है कि रोटी के सहारे ही सही पर अब वह अपनी स्वास्थ्यगत समस्या के बारे में बात तो कर रहे हैं।“
कार्डिनल नशामुक्ति से समाजसेवा तक
कार्डिनल चार्जर्स के विशाल चंद्रा की माने तो “कार्डिनल क्लब शहर के ऐसे युवाओं का समूह है जिसमें ज्यादातर सदस्य कामकाजी युवा हैं जो काम के बाद अपने बचे समय में समाज सेवा करते हैं। इसके अलावा ग्रुप में छात्र भी हैं। कार्डिनल क्लब शुरू में युवाओं को नशा से दूर रखने और उन्हें खेल से जोड़ने के लिए बना था क्योंकि शहर में टीनएजर्स जल्द ही नशे की ओर आकर्षित होते हैं और फिर जीवनभर नहीं निकल पाते। सालभर कार्डिनल क्लब के युवा जिम, क्रिकेट, फुटबाल जैसे खेल सुबह के समय खेलते हैं। धीरे-धीरे हम क्रिकेट टूर्नामेंट कराने लगे। ग्रुप के युवाओं ने प्रबंधन का गुर सीखा। फिर कोविड के समय में सभी ने एकमत से निर्णय लिया कि लोगों के लिए कुछ करना है। पहले कोई भूखा न रहे और फिर इतना लो थाली में कि व्यर्थ न जाए थाली में जैसी थीम हमने आत्मसात की। अब हम अपना विस्तार कर रहे हैं और लोगों की मदद हमें मिल रही है। हमारे इरादे नेक हैं और हमसे जुड़े लोग नि:स्वार्थ भाव से काम कर रहे हैं । हम अपना खुद का खाना बनाने का सेट-अप तैयार कर रहे हैं ताकि जरूरत पड़ने पर हम खुद ही खाना बना सकें और इसके लोगों की मदद की जररूत है।“
