रायगढ़ – मैं मृत्यु सिखाता हूं नामक पुस्तक में ओशो कहते हैं कि जीवन को कलात्मक ढ़ंग से जीना तो विश्व के मानवों की नैसर्गिक प्रक्रिया है, लेकिन जो कलात्मक ढ़ंग से मृत्यु की भी तैयारी करता है वह जन्म और मृत्यु की प्रक्रिया से ऊपर हो जाता है अर्थात उसका आत्म साक्षात्कार हो जाता है या उसे कुछ इस तरह से भी कह सकते हैं कि वे ईश्वरत्व को प्राप्त कर लेते हैं। वैसे यह पक्ति रामदास जी की एक लोकोक्ति के संदर्भ में याद आ गई। वे जब भी किसी सभा को संबोधित करते थे तब अपनी इस प्रिय लोकोक्ति को बोलते थे कि जिसकी गारंटी नहीं है वह है जिन्दगी और जिसकी गारंटी है उसका नाम है मृत्यु। इसलिए जब तक जियो तब तक सर्वजन हिताय व सर्वजन सुखय जियो नहीं तो जिसकी गारंटी है, वह तो आएगी ही। वहीं गोस्वामी तुलसीदास कहते हैं कि क्षिति जल पावक गगन समीरा, पंच रचित अधम शरीरा – क्षिति जल पावक गगन समीरा, पंच रचित अधम शरीरा। यह शरीर सिर्फ पांच तत्व पृथ्वी, जल, अग्नि, आकाश और वायु से मिलकर बना है और एक दिन इस तन को इनमें ही मिल जाना है। इसलिए उन्होंने संपूर्ण समाज को अच्छे जीवन जीने के लिए परोपकार व सेवा धर्म का पाठ रामचरित मानस ग्रंथ के माध्यम से अनमोल ज्ञान दिए हैं। गोस्वामी तुलसीदास के इस दोहे व उनके रामचरित मानस के संपूर्ण काव्य को इस समाज में कोई विरले ही समझते हैं और अपनी आत्मा में रामचरित मानस के आदर्श विचारों को आत्मसात कर अपने जीवन में केवल परोपकार व सेवा धर्म को ही जीवन का मूल मंत्र मानकर जीते हैं और ऐसे लोगों के अनायास चले जाने से समाज के हर लोगों की आँखें उनकी याद में हर क्षण नम रहती हैं तो हृदय बिन पानी के मीन जैसे तड़पने लगता है। समाज व शहर के ऐसे ही विरले महामानव थे सुप्रसिद्ध समाजसेवी रामदास अग्रवाल। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के आदर्श विचारों को अपने जीवन में आत्मसात कर व विश्व के गोस्वामी तुलसी दास के संपूर्ण महाकाव्य रामचरित मानस को जीवन का मूल मंत्र बनाकर अपने जीवन के एक – एक क्षण को संपूर्ण विश्व समाज के हर मनुष्य के साथ अपनत्व, भाई चारे का भाव एकता, प्रेम से परिपूर्ण, पूरी आत्मीयता, पवित्र सेवा भाव, व निर्मल मन से सहयोग के साथ व्यतीत किए हैं कि उनके जीवन का हर क्षण समाज के लिए व भावी पीढ़ी के लिए एक अमर संदेश बन गया। यही कारण है कि जब वे भौतिक तन को विधाता के नियम अनुरुप त्याग कर ब्रम्हलीन हुए तो सुनकर अब समाज के हर व्यक्ति का हृदय बिन पानी के मीन सा तड़प रहा है।
गंगा मइया में हुआ अस्थिविसर्जन – सुप्रसिद्ध समाजसेवी रामदास अग्रवाल के दुखद निधन के तीसरे दिन आज शुक्रवार छह अक्टूबर को वैदिक ढंग से इलाहाबाद के पवित्र गंगा मैया घाट में विधिविधान से उनके छोटे सुपुत्र सुशील रामदास व घर परिवार के सदस्यों ने अस्थि पूजन किए इसके बाद गंगा मैया, जमुना मैया व सरस्वती मैया के पवित्र संगम में उनकी अस्थि का विसर्जन सजल नयनों से किया गया।
शहर में दिया जा रहा प्रतिदिन भोज – समाज के महामानव सुप्रसिद्ध समाज सेवी रामदास अग्रवाल हमेशा समाज के जरुरतमंद लोगों का पवित्र मन से सहयोग व संबल देते थे जो समाज के लिए एक नव मिसाल और एक नव इतिहास भी बन गया। उनके अनायास ब्रम्हलीन होने से उनके ज्येष्ठ पुत्र सुनील रामदास, मंझले पुत्र अनिल रामदास व छोटे सुपुत्र सुशील रामदास अपने पिताजी के आदर्श विचारों व उनके बताए हुए पथ पर चलते हुए समाज की सेवा में तल्लीन रहते हैं। वहीं अब उनकी याद में व उनकी आत्मा की शांति के लिए समाज के जरुरतमंद लोगों को रायगढ़ शहर के रामनिवास टॉकीज के पास अग्रसेन चैक और पत्थलगांव के बस स्टैंड में प्रसाद वितरण गत गुरूवार से किया जा रहा है।
सजल नयनों से लोग दे रहे श्रद्धांजलि – सरकार व प्रशासन के नियमों का पालन करते हुए शहर व समाज के लोग सुप्रसिद्ध समाजसेवी रामदास को अपनी विनम्र श्रद्धांजलि प्रतिदिन सजल नयन से दे रहे हैं। वहीं आज अस्थिपूजन के चैथे दिन जिले के पुलिस पुलिस अधीक्षक संतोष कुमार सिंह, समाज सेवी संस्था लायंस क्लब रायगढ़ मिड टाउन, गायत्री परिवार व चक्रधर गौशाला समिति के पदाधिकारियों और सदस्यों सहित नगर के सैकड़ों गणमान्यजन द्वारा उनके निवास पर सजल नयनों से उनकी प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर अपनी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की।
लायंस क्लब रायगढ़ मिड टाउन ने लिखा भावुक करने वाला पत्र
प्रिय लायन साथी, लायन सुनील रामदास जी, इस विषम परिस्थिति में हम समस्त लायन परिवार आप के साथ हैं, जहां आपने अपना पिता खोया है, वहीं पूरे शहर ने एक सेवा दूत खोया है। गोलोक वासी रामदास जी ने न केवल परिवार अपितु पूरे समाज को एक नया संस्कार, नई दिशा, नई सोच प्रदान की है। उनके लिए यह लाइन सर्वथा उपयुक्त है की…
कुछ लोग थे कि वक्त के सांचे में ढल गए और कुछ लोग हुए कि वक्त के सांचे बदल गए..
हम सब तो बहुत आम थे, आप का सानिध्य ने हमें खास कर दिया…
त्याग, तपस्या, संयम से खुद राम हुए और हमें उनका दास कर दिया…
लॉयंस क्लब रायगढ़ मिड टाउन परिवार
