मुख्यमंत्री ने कहा- कोटा में फंसे बच्चों के लिए वहीं की जाएगी हर व्यवस्था ; दूसरी तरफ कांग्रेस संगठन जुटा रहा जिला स्तर पर जानकारी

सोशल मीडिया पर बच्चे लगातार मदद की गुहार लगा रहे, कोटा में अब तक 97 कोरोना पॉजिटिव मिल चुके हैं, छत्तीसगढ़ कांग्रेस के सभी जिलाध्यक्ष बच्चों की जानकारी जुटाकर कलेक्टर को देंगे, ताकि उन्हें वापस लाने का प्रबंध हो

रायपुर. कोटा में मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले छत्तीसगढ़ के बच्चे भी लॉकडाउन में फंसे हुए हैं। ऐसे में हजारों बच्चे कोटा से वापस अपने घरों को लौटना चाहते हैं, उनकी उम्मीद और उदासी दोनों उस वक्त बढ़ गई, जब शुक्रवार को यूपी के बच्चों को लेने के लिए वहां की सरकार ने बसें भेज दीं। सोशल मीडिया पर छत्तीसगढ़ के बच्चे लगातार मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से उन्हें वापस लाने की मांग कर रहे हैं। शनिवार को सोशल मीडिया में इस मामले में सरकार का पक्ष रखते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि उन्होंने इस मामले में राजस्थान सरकार से बात की है, बच्चों के लिए सभी आवश्यक व्यवस्था कोटा में ही सुनिश्चित की जा रही है। उधर, राज्य के कांग्रेस संगठन ने सभी जिलाध्यक्षों को निर्देशित किया है कि वे अपने जिलों में उन बच्चों की जानकारी जुटाएं जो कोटा में फंसे हैं और इसे कलेक्टर को सौंपें ताकि उन्हें वापस लाने के प्रयास किए जा सकें।
मुख्यमंत्री की पोस्ट 

रायपुर की बच्ची ने बताया वहां का हाल 

रायपुर की रहने वाली नंदनी कुशवाहा कोटा के राजीव गांधी नगर में फंसी हैं। उन्होंने बताया कि मैं मेडिकल की पढ़ाई के सिलसिले में आई थी। नीट की परीक्षा रद्द होने के बाद लॉकडाउन की वजह से हम लौट नहीं पाए। नंदनी की मां अंजू और बहन नियती भी वहीं हैं। शहर में लगातार बढ़े संक्रमण की वजह से उन्हें डर है कि कहीं वे भी इसकी चपेट में ना आ जाएं, क्योंकि हॉस्टल में स्टाफ का बाहर आना-जाना होता है। पिता आलोक कुशवाहा ने बताया कि मैंने कई बार प्रशासनिक अफसरों से अनुमति मांगी। मैं, अपने वाहन से जाकर बच्चों और पत्नी को ला सकता हूं, मगर अनुमति नहीं मिली। जबकि  उत्तर प्रदेश की सरकार बच्चों को वापस ला रही है।

एक दिन में आए 1 हजार फोन कॉल 

राज्य में हजारों परिजन अपने बच्चों को कोटा से वापस लाने के लिए परेशान हैं। राजनांदगांव के कांग्रेस जिलाध्यक्ष कुलबीर सिंह छाबड़ा ने अपना फोन नंबर जारी कर लोगों से कोटा में पढ़ रहे जिले के बच्चों की जानकारी मांगी है। उनका मैसेज देखकर प्रदेशभर से अब तक करीब 1 हजार से ज्यादा परिजन ने उन्हें कॉल कर चुके हैं। कुलबीर ने बताया कि मैं अन्य जिलों के कांग्रेस नेताओं का नंबर माता-पिता को दे रहा हूं। हमें संगठन ने कहा है कि बच्चों की जानकारी जुटाकर प्रशासन को दें ताकि उनकी मदद की जा सके।

सोशल मीडिया में चलाया गया अभियान 
कोटा में रहने वाले बच्चे परेशान हैं। उन्होंने हैशटैग हेल्प कोटा स्टूडेंट और हैशटैग सेंड अस बैक होम के साथ ट्वीटर पर सैकड़ों ट्वीट अपनी राज्य सरकारों के नाम किए हैं। ऐसा करने वालों में छत्तीसगढ़ के बच्चे भी हैं। लगातार सोशल मीडिया पर मदद मांगने की वजह से यूपी सरकार ने बच्चों को वापस लाने का फैसला लिया। अब छत्तीसगढ़ के भी कई बच्चे ट्वीटर के जरिए राज्य के जनप्रतिनिधियों से मदद मांग रहे हैं।


LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here